Sunday 27 November 2011

फेसबुक और ट्विटर के समर्थकों को तो एक दारू की बोतल और कुछ रुपयों में कोई नहीं खरीद सकता...!!! इसके बावजूद समर्थन के मामले में अन्ना गैंग और खुद अन्ना यहाँ भी कंगाल क्यों हैं.?

 अन्ना गैंग आदेशात्मक शैली में
देश की संसद और संविधान को
अपना स्वरचित जनलोकपाली पहाड़ा
पढ़वाने की कोशिश कर रहा
है
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत के साथ ही सरगर्म हुए राजनीतिक वातावरण में अन्ना टीम  ने एक बार फिर कमर कस ली है. इसके लिए अन्ना टीम ने एक बार फिर अपना “जनलोकपाली” कीर्तन प्रारम्भ किया है. पिछले तीन-चार दिनों से  न्यूज चैनलों पर ये अन्ना गैंग फिर चमक रहा है और आदेशात्मक शैली में देश की संसद और संविधान को अपना स्वरचित जनलोकपाली पहाड़ा पढ़वाने की कोशिश करता भी दिख रहा है. 
यह अन्ना टीम न्यूज चैनलों के वातानुकूलित स्टूडियोज़ में बैठकर121 करोड़ देशवासियों के पूर्ण समर्थन के अपने दावे के सहारे देश के लिए, देश की तरफ से सोचने, विचारने, आदेश देने, और फैसला लेने के इकलौते ठेकेदार के रूप में स्वयम को प्रस्तुत कर रही है..
इस से पहले रामलीला मैदान में लगाये गए अपने “जनलोकपाली” मजमें के दौरान भी इस अन्ना टीम ने ऐसे ही हवाई दावों का भ्रमजाल कुछ न्यूज चैनलों के सहयोग और समर्थन से बढ़ चढ़ कर फ़ैलाने की कुटिल कोशिशें की थी, जबकि उसका यह दावा वास्तविकता से हजारों कोस दूर है. गणितीय प्रतीकों में कहूँ तो 5 प्रतिशत भी सही नहीं है. तथ्यपरक यथार्थ की तार्किक कसौटी इस अन्ना टीम द्वारा खुद को प्राप्त 121 करोड़ देशवासियों के समर्थन के दावे की धज्जियाँ उड़ाती स्पष्ट दिखायी देती है.
ज्ञात रहे की इस अन्ना टीम के जनलोकपाली आन्दोलन का सबसे बड़ा एवं मुख्य समर्थक वर्ग इस देश के पढ़े लिखे मध्य वर्ग, उच्च मध्यवर्ग एवं नौजवानों को ही माना गया था, इंटरनेट की ट्विटर एवं फेसबुक सरीखी दुनिया को इस टीम के समर्थन की सर्वाधिक उर्वर भूमि कहा गया. इसके अंध समर्थक न्यूज चैनलों एवं खुद इस अन्ना गैंग का भी यही मानना था. इसीलिए इसने अपने तथाकथित जनलोकपाल बिल का मसौदा इस देश तक इंटरनेट के माध्यम से ही पहुंचाया था. उस मसौदे से सम्बन्धित सुझावों शिकायतों को प्राप्त करने के लिए भी इस टीम ने अपनी वेब साईट और Email को ही अपने और जनता के बीच का माध्यम बनाया था.
फेसबुक और ट्विटर पर अपने जनलोकपाली मजमे को मिले तथाकथित 121 करोड़ देशवासियों के ऐतिहासिक समर्थन के सामूहिक गीत अन्ना टीम ने कुछ न्यूजचैनलों के साथ संयुक्त रूप से गए थे.
उल्लेखनीय है की अप्रैल 2011 में खुद फेसबुक द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार भारत में फेसबुक इस्तेमाल करने वालों की संख्या 35.7% की छमाही वृद्धि दर के साथ लगभग 2 करोड़ 30 लाख थी, अर्थात आज यह संख्या लगभग 3 करोड़ के आसपास होगी. अब जरा ध्यान से जानिये उस सच्चाई को कि इन 3 करोड़ देशवासियों के मध्य इस अन्ना टीम के समर्थन कि स्थिति क्या है.
फेसबुक में इस अन्ना टीम की संस्था INDIA AGAINST CORRUPTION के समर्थन में बने ग्रुपों/पेजों की कुल संख्या 492 है. 
खुद अन्ना टीम द्वारा बनाये गए इसके मुख्य पेज के समर्थकों की संख्या 5 लाख 42 हज़ार के करीब है. इसके मुख्य पेज और शेष 491 पेजों के समर्थकों की संख्या का कुल योग लगभग 8 लाख 20 हज़ार के करीब है. ज़रा ध्यान दीजिये की 3 करोड़ के करीब फेसबुक की भारतीय आबादी में से कुल 8 लाख 20 हज़ार लोगों ने इस टीम के मंच को अपना समर्थन दिया है. फेसबुक संसार की भारतीय आबादी के केवल 2.73% सदस्यों ने ही इस अन्ना टीम  और उसके मंच को अपना समर्थन दिया है. यद्यपि फेसबुक की दुनिया का हर सदस्य यह जानता है की एक सदस्य कई-कई ग्रुपों और पेजों को अपना समर्थन दे सकता है और देता भी है. यदि ऐसे साझा समर्थकों की संख्या विश्लेषित की जाए तो 2.73% समर्थन का उपरोक्त आंकड़ा 1.5% या फिर 1.75% के आसपास ही पहुंचेगा. 
इस अन्ना टीम की चौकड़ी के सबसे मेन मेम्बर अरविन्द केजरीवाल के नाम से जो मुख्य पेज है उसमे इसके समर्थकों की संख्या है 48790.
केजरीवाल के कुछ अंध भक्तों ने भी केजरीवाल के समर्थन के पेज बना रखे हैं. ऐसे कुल पेजों की संख्या है 53. केजरीवाल के मुख्य पेज समेत इन 54 पेजों में केजरीवाल समर्थकों की कुल संख्या है 1 लाख 34 हज़ार 971. अर्थात केवल 0.44% समर्थन
इसके बाद अन्ना टीम की मेम्बर नम्बर 2 है किरण बेदी.
किरण बेदी के नाम से जो मुख्य पेज है उसमें बेदी समर्थकों की संख्या है 1 लाख 8 हज़ार 684.
किरण बेदी के भी कुछ समर्थकों ने बेदी के समर्थन के पेज बना रखे हैं.
ऐसे कुल 76 पेज हैं और किरण बेदी के मुख्य पेज समेत इन 77 पेजों में बेदी समर्थकों की कुल संख्या है 2 लाख 13 हज़ार 387.
अर्थात केवल 0.71% समर्थन
इसके बाद नाम आता है अन्ना टीम  के फौजी नम्बर तीन प्रशांत भूषण का.
इसके समर्थन के नाम से कुल 6 पेज हैं और इन छहों पेजों में इसके समर्थकों की कुल संख्या है केवल 2369.
अर्थात केवल 0.01% समर्थन, और इस चौकड़ी के मेम्बर नम्बर चार मनीष सिसोदिया के व्यक्तिगत पेज में समर्थकों की संख्या है 4988 तथा इसके समर्थन के पेज में इसके समर्थकों की संख्या है केवल 124.
अर्थात 3 करोड़ भारतीय सदस्यों वाले फेसबुक के संसार में अन्ना गैंग की इस चौकड़ी को कुल 350851 लोगों का समर्थन प्राप्त है.
एक बार पुनः यह उल्लेख कर दूं की इसमें अधिकांश संख्या ऐसे साझा समर्थकों की होती है जो कई-कई पेजों पर जाकर अपना समर्थन व्यक्त करते हैं, और स्वाभाविक रूप से केजरीवाल को समर्थन देने वाला व्यक्ति किरण बेदी का भी समर्थक होगा. यदि यह भी जांच लिया जाए तो इस अन्ना टीम  के समर्थन की सबसे उर्वर भूमि मानी जाने वाली फेसबुक की 3 करोड़ भारतीयों की दुनिया में इस चौकड़ी के समर्थकों का आंकडा 2 से 1.5 लाख के आंकड़े के बीच झूलता नज़र आएगा.
इस टीम के मुखिया खुद अन्ना हजारे के मुख्य पेज पर समर्थकों की संख्या 3 लाख 21 हज़ार 448 है तथा अन्ना हजारे के समर्थन में बने 79 अन्य पेजों के समर्थकों की संख्या इसमें जोड़ देने पर यह आंकडा पहुँच जाता है 5 लाख 96 हज़ार 779 पर.
अर्थात केवल 01.98% समर्थन. जाहिर सी बात है की जो IAC समर्थक वही अन्ना समर्थक है.
इसी समर्थन में से अन्ना टीम की चर्चित चौकड़ी भी अपने समर्थन की बन्दर बाँट किये हुए है.
कुल मिलाकर यह स्पष्ट होता है कि 3 करोड़ भारतीयों वाले फेसबुक संसार में इस पूरी टीम और उसके जनलोकपाली मजमें के समर्थकों कि वास्तविक संख्या लगभग 6 लाख है, यानी केवल 2 प्रतिशत के आसपास ही है.
अब एक नज़र इस टीम अन्ना को ट्विटर पर प्राप्त समर्थन की.
मई 2011 तक के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार ट्विटर संसार के भारतवासी सदस्यों की संख्या लगभग 1 करोड़ 30 लाख के करीब थी.
ट्विटर कि इस दुनिया में किरण बेदी के नाम से बने 2 एकाउंट्स में से एक में किरण के समर्थकों कि संख्या है 303257 और दुसरे में 8326 यानि कुल समर्थकों कि संख्या है 311583. अर्थात लगभग 2.39%  समर्थन.
इसी ट्विट्टर की दुनिया में केजरीवाल के नाम से बने नौ एकाउंट्स में उसके कुल समर्थकों कि संख्या है 43998. अर्थात लगभग 00.33% समर्थन.
ट्विटर पर ही इस अन्ना टीम  ने जनलोकपाल के नाम से ही एकाउंट बना रखा है. ट्विटर पर इस जनलोकपाल के समर्थकों की संख्या है लगभग 181453. अर्थात 1.39%  समर्थन.
इसके अलावा जनलोकपाल  के नाम से 10-5 एकाउंट और हैं जिनमें समर्थकों की संख्या 25-50 और 100 तक है. अर्थात नगण्य.
ट्विटर पर प्रशांत भूषण नाम से बने 5-6 एकाउंटस में से किसी के समर्थकों की संख्या 2 है तो किसी की 5 और किसी की सिर्फ शून्य…!!! ये वही प्रशांत भूषन है जो देश के दो टुकड़े कर देने की सलाह पूरे देश को देता घूमता है.
कमोवेश यही स्थिति मनीष सिसोदिया नाम से बने 3 एकाउंट्स की है.
ट्विटर पर ही कुछ अन्ना समर्थकों द्वारा अन्ना हजारे के नाम से बनाये गए लगभग 100 एकाउंट्स में दर्ज समर्थकों की संख्या लगभग 42000 के करीब है. अर्थात लगभग 0.32% समर्थन.
अन्ना गैंग के समर्थन की सबसे उर्वर भूमि समझी जाने वाली इंटरनेट की दुनिया के फेसबुक एवं ट्विटर संसार में  ये है असलियत अन्ना टीम के स्वघोषित जननायकों तथा उनके जनलोकपाली मजमे को प्राप्त 121 करोड़ देशवासियों के तथाकथित समर्थन की.
अतः गाँव गरीब खेत किसान मजदूरों के लगभग 85% वास्तविक भारत में इस टीम को प्राप्त समर्थन का वास्तविक आंकडा क्या कितना और कैसा होगा, इसका आंकलन कठिन नहीं है.
इस टीम के अंध भक्तों को आइना दिख जाए  इसके लिए जिक्र ज़रूरी है की इसी ट्विटर की भारतीय दुनिया में अमिताभ बच्चन के सिर्फ एक एकाउंट के समर्थकों की संख्या ही 15 लाख 87 हज़ार 307 है, तो प्रियंका चोपड़ा के केवल एक एकाउंट के समर्थकों की संख्या 16 लाख 69 हज़ार 704 है. साझा समर्थकों की इसमें कोई सम्भावना तो नहीं ही है तथा फेसबुक और ट्विटर के समर्थकों को तो एक दारू की बोतल और कुछ रुपयों में कोई नहीं खरीद सकता...!!! अतः अन्ना गैंग और खुद अन्ना समर्थन के मामले में यहाँ भी कंगाल क्यों हैं. 

राजनेताओं ने सुनाया सर्वसम्मत फरमान : शरद पवार सदाचारी और महान, जनता लुच्ची लफंगी और बेईमान...


गुरुवार 24 नवम्बर को दिल्ली में एक नौजवान हरविंदर सिंह ने जिस प्रकार देश के कुख्यात कृषिमंत्री शरद पवार को अपनी क्रोधांजलि अर्पित की थी. दूसरे दिन  शनिवार को उस के विरुद्ध संसद के भीतर सर्वसम्मत सर्वदलीय क्रोधाग्नि  जमकर दहकी.
इस सर्वसम्मत सर्वदलीय क्रोधाग्नि की आंच में पूरी तरह बेशर्म और बदचलन हो चुकी भारतीय राजनीति के कुटिल चरित्र, कुरूप चेहरे एवं कुत्सित मानसिकता का शर्मनाक सत्य संसद के भीतर बार-बार लगातार चमका.
कभी कुख्यात अंतर्राष्ट्रीय दाउद इब्राहीम के साथ सम्बन्धों-संपर्कों सरीखे गर्म और गंभीर आरोपों से घिरे रहे, रक्षा मंत्री के रूप में अपने साथ उत्तरप्रदेश के एक कुख्यात हत्यारे अपराधी,दाउद गैंग के कुख्यात गुर्गे को अपने साथ वायुसेना के विशेष विमान से वाराणसी से दिल्ली तक ले जाने के लिए कुख्यात हुए, तथा पिछले 7 वर्षों से महंगाई की आग को आसमान तक पहुँचाने के जिम्मेदार खलनायक बनकर उभरे शरद पवार के ऐसे कारनामों/करतूतों की "कर्मकुंडली" बहुत लम्बी एवं लज्जाजनक है. 
लेकिन देश के इस सर्वकालीन सर्वाधिक कुख्यात हो चुके कृषिमंत्री के लगभग 45 वर्षीय लम्बे अत्यंत विवादस्पद एवं संदिग्ध राजनीतिक जीवनचरित्र की "शान" में आज संसद के भीतर सभी दलों के दिग्गजों ने जमकर प्रशस्ति गान किया.
कुख्याति के नित नए आयाम गढ़ती जा रही सर्वकालीन सर्वाधिक भ्रष्ट केंद्र सरकार के प्रधान सेनापति प्रणव मुखर्जी ने जहां शरद पवार की जनसेवा समाजसेवा राष्ट्रसेवा का महिमामण्डन करते हुए लोकतान्त्रिक नैतिकता,मर्यादा तथा आदर्शों एवं सिद्धांतों की दुहाई दी, वहीं भाजपाई "हैवीवेट" सुषमा स्वराज भी शरद पवार को अर्पित की गयी क्रोधांजलि पर खूब आगबबूला हुईं. "वोट फॉर नोट" काण्ड में पूरे देश के सामने सौदेबाज़ी करते दिखे सपाई सांसद रेवतीरमण सिंह ने, अपराधिक इतिहास वाले माफिया सरगनाओं की बहुतायत वाली समाजवादी पार्टी की तरफ से शरद पवार के निष्कलंक "सदाचारी" व्यक्तित्व एवं राजनीतिक जीवन का गुणगान करते हुए पवार को पड़े थप्पड़ के खिलाफ गाँधी और उनकी अहिंसा के डायलागों की झड़ी लगा दी, 
उत्तरप्रदेश में अपने जघन्य एवं दुर्दांत अपराधिक आरोपों वाले लम्बे चौड़े इतिहास के लिए ही पहचाने जाने वाले बसपा सांसद धनंजय सिंह ने भी शरद पवार के सरल सहज गरीबपरवर व्यक्तित्व का यशोगान करते हुए शांति अहिंसा एवं लोकतंत्र की मर्यादा का गीत गाया, लालू की राजद के रघुवंश प्रसाद जी भी पवार को अर्पित क्रोधांजलि के खिलाफ खूब गरजे बरसे. इन सभी नेताओं के भाषणों का सर्वसम्मत निष्कर्ष एवं निर्णय यही था की शरद पवार इस देश के अत्यंत सदाचारी समाजसेवी राष्ट्रभक्त ईमानदार नेताओं में से एक हैं. तथा उनको कल अर्पित की गयी क्रोधांजलि लोकतंत्र को खतरे में डाल देने वाला एक जघन्य अपराध है.  
पवार को दी गयी क्रोधांजलि के खिलाफ संसद में आगबबूला होने वाले इन सभी राजनेताओं ने हरविंदर सिंह को सख्त से सख्त सजा देने की जबर्दस्त वकालत भी की,
उल्लेखनीय है कि हरविंदर सिंह के खिलाफ उसके अबतक के जीवन में कहीं किसी थाने में  कोई अपराधिक आरोप कभी दर्ज नहीं रहा, भ्रष्टाचारी सुखराम और तथाकथित "सदाचारी" शरद पवार को अर्पित की गयी क्रोधांजलि के अतिरिक्त उसके खिलाफ कोई और आरोप पुलिस नहीं ढूंढ सकी है. हरविंदर सिंह भी भूख, प्यास, भ्रष्टाचार, अनाचार, काले कारोबार, बेहाल बेरोजगार,कंगाल किसान-कामगार, सरीखी प्राणलेवा समस्याओं त्रस्त, उसी जनता का ही एक हिस्सा है जिसकी नयी-नयी चमकदार "कार्पोरेटी"परिभाषाएं ये राजनेता अपनी सुविधानुसार गढ़ते रहते हैं. 
लेकिन हरविंदर सिंह ने शरद पवार को क्रोधांजलि क्यों अर्पित की...? उसके कारण क्या हैं...? उन कारणों के लिए कौन कौन लोग जिम्मेदार हैं...? उन जिम्मेदारों के खिलाफ क्या कार्रवाई होनी चाहिए...? उनको क्या सज़ा दी जानी चाहिए...? उन जिम्मेदारों के खिलाफ सरकार ने आजतक क्या कार्रवाई की...? यदि नहीं की तो क्यों नहीं की...? अब यह कार्रवाई कब की जायेगी...? 
उपरोक्त संगीन सवालों से इन सभी राजनेताओं, राजनीतिक दलों ने हरविन्दर सिंह को लुच्चा,लफंगा,पागल,अपराधी और अन्य अनेक प्रकार के विशेषणों से कोसकर मुंह चुरा लिया.