गुरुवार 24 नवम्बर को दिल्ली में एक नौजवान हरविंदर सिंह ने जिस प्रकार देश के कुख्यात कृषिमंत्री शरद पवार को अपनी क्रोधांजलि अर्पित की थी. दूसरे दिन शनिवार को उस के विरुद्ध संसद के भीतर सर्वसम्मत सर्वदलीय क्रोधाग्नि जमकर दहकी.
इस सर्वसम्मत सर्वदलीय क्रोधाग्नि की आंच में पूरी तरह बेशर्म और बदचलन हो चुकी भारतीय राजनीति के कुटिल चरित्र, कुरूप चेहरे एवं कुत्सित मानसिकता का शर्मनाक सत्य संसद के भीतर बार-बार लगातार चमका.
कभी कुख्यात अंतर्राष्ट्रीय दाउद इब्राहीम के साथ सम्बन्धों-संपर्कों सरीखे गर्म और गंभीर आरोपों से घिरे रहे, रक्षा मंत्री के रूप में अपने साथ उत्तरप्रदेश के एक कुख्यात हत्यारे अपराधी,दाउद गैंग के कुख्यात गुर्गे को अपने साथ वायुसेना के विशेष विमान से वाराणसी से दिल्ली तक ले जाने के लिए कुख्यात हुए, तथा पिछले 7 वर्षों से महंगाई की आग को आसमान तक पहुँचाने के जिम्मेदार खलनायक बनकर उभरे शरद पवार के ऐसे कारनामों/करतूतों की "कर्मकुंडली" बहुत लम्बी एवं लज्जाजनक है.
लेकिन देश के इस सर्वकालीन सर्वाधिक कुख्यात हो चुके कृषिमंत्री के लगभग 45 वर्षीय लम्बे अत्यंत विवादस्पद एवं संदिग्ध राजनीतिक जीवनचरित्र की "शान" में आज संसद के भीतर सभी दलों के दिग्गजों ने जमकर प्रशस्ति गान किया.
कुख्याति के नित नए आयाम गढ़ती जा रही सर्वकालीन सर्वाधिक भ्रष्ट केंद्र सरकार के प्रधान सेनापति प्रणव मुखर्जी ने जहां शरद पवार की जनसेवा समाजसेवा राष्ट्रसेवा का महिमामण्डन करते हुए लोकतान्त्रिक नैतिकता,मर्यादा तथा आदर्शों एवं सिद्धांतों की दुहाई दी, वहीं भाजपाई "हैवीवेट" सुषमा स्वराज भी शरद पवार को अर्पित की गयी क्रोधांजलि पर खूब आगबबूला हुईं. "वोट फॉर नोट" काण्ड में पूरे देश के सामने सौदेबाज़ी करते दिखे सपाई सांसद रेवतीरमण सिंह ने, अपराधिक इतिहास वाले माफिया सरगनाओं की बहुतायत वाली समाजवादी पार्टी की तरफ से शरद पवार के निष्कलंक "सदाचारी" व्यक्तित्व एवं राजनीतिक जीवन का गुणगान करते हुए पवार को पड़े थप्पड़ के खिलाफ गाँधी और उनकी अहिंसा के डायलागों की झड़ी लगा दी,
उत्तरप्रदेश में अपने जघन्य एवं दुर्दांत अपराधिक आरोपों वाले लम्बे चौड़े इतिहास के लिए ही पहचाने जाने वाले बसपा सांसद धनंजय सिंह ने भी शरद पवार के सरल सहज गरीबपरवर व्यक्तित्व का यशोगान करते हुए शांति अहिंसा एवं लोकतंत्र की मर्यादा का गीत गाया, लालू की राजद के रघुवंश प्रसाद जी भी पवार को अर्पित क्रोधांजलि के खिलाफ खूब गरजे बरसे. इन सभी नेताओं के भाषणों का सर्वसम्मत निष्कर्ष एवं निर्णय यही था की शरद पवार इस देश के अत्यंत सदाचारी समाजसेवी राष्ट्रभक्त ईमानदार नेताओं में से एक हैं. तथा उनको कल अर्पित की गयी क्रोधांजलि लोकतंत्र को खतरे में डाल देने वाला एक जघन्य अपराध है.
पवार को दी गयी क्रोधांजलि के खिलाफ संसद में आगबबूला होने वाले इन सभी राजनेताओं ने हरविंदर सिंह को सख्त से सख्त सजा देने की जबर्दस्त वकालत भी की,
उल्लेखनीय है कि हरविंदर सिंह के खिलाफ उसके अबतक के जीवन में कहीं किसी थाने में कोई अपराधिक आरोप कभी दर्ज नहीं रहा, भ्रष्टाचारी सुखराम और तथाकथित "सदाचारी" शरद पवार को अर्पित की गयी क्रोधांजलि के अतिरिक्त उसके खिलाफ कोई और आरोप पुलिस नहीं ढूंढ सकी है. हरविंदर सिंह भी भूख, प्यास, भ्रष्टाचार, अनाचार, काले कारोबार, बेहाल बेरोजगार,कंगाल किसान-कामगार, सरीखी प्राणलेवा समस्याओं त्रस्त, उसी जनता का ही एक हिस्सा है जिसकी नयी-नयी चमकदार "कार्पोरेटी"परिभाषाएं ये राजनेता अपनी सुविधानुसार गढ़ते रहते हैं.
लेकिन हरविंदर सिंह ने शरद पवार को क्रोधांजलि क्यों अर्पित की...? उसके कारण क्या हैं...? उन कारणों के लिए कौन कौन लोग जिम्मेदार हैं...? उन जिम्मेदारों के खिलाफ क्या कार्रवाई होनी चाहिए...? उनको क्या सज़ा दी जानी चाहिए...? उन जिम्मेदारों के खिलाफ सरकार ने आजतक क्या कार्रवाई की...? यदि नहीं की तो क्यों नहीं की...? अब यह कार्रवाई कब की जायेगी...?
उपरोक्त संगीन सवालों से इन सभी राजनेताओं, राजनीतिक दलों ने हरविन्दर सिंह को लुच्चा,लफंगा,पागल,अपराधी और अन्य अनेक प्रकार के विशेषणों से कोसकर मुंह चुरा लिया.
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