Friday 23 November 2012

कांग्रेसी नेताओं की औलादों,दामादों और सालों को बचाने के लिए दर्ज़नों आतंकवादी क्यों छोड़े गए थे...???

पहले बीती 21 नवम्बर को कपिल सिब्बल और कांग्रेसी प्रवक्ता संजय निरूपम ने फिर 22 नवम्बर को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने कंधार कांड में छोड़े गए आतंकियों को लेकर भाजपा पर तीखा आक्रमण किया है। अतः सिब्बल दिग्विजय और निरूपम को केवल पांच प्रकरण याद दिलाना चाहूँगा
पहला है वो ''तसद्दुक देव'' जो वर्तमान केन्द्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद का ''साला'' है और जिसका 1991 में ही अपहरण किया गया था

और उसे छुड़ाने के लिए तीन दुर्दांत आतंकवादियों को केंद्र की तत्कालीन केंद्र सरकार ने छोड़ दिया था।
दूसरा है वो ''नाहिदा सोज़'' जो वर्तमान केन्द्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज़ की सुपुत्री है और जिसका अपहरण 1991 में ही किया किया गया और उसे छुड़ाने के लिए 5 दुर्दांत आतंकवादियों को बिना शर्त छोड़ दिया गया था
तीसरा है वो ''मुस्तफा असलम'' जो जम्मू-काश्मीर प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष गुलाम रसूल कार का दामाद था और जिसका 1992 में अपहरण किया गया था और जिसको छुड़ाने के किये 3 दुर्दांत आतंकियों को बिना शर्त छोड़ दिया गया था।
चौथा है वो नसरुल्लाह जो पूर्व मंत्री जी एम् मीर लासजन का सुपुत्र था जिसका 1992 में अपहरण कर लिया गया था और जिसे छुड़ाने के लिए 7 दुर्दांत आतंकवादियों को बिना शर्त छोड़ दिया गया था।
पांचवां है, एक सप्ताह तक हज़रत बल में दावत-ए-बिरयानी देने के बाद दर्जनों पाकिस्तानी आतंकियों को वापस पकिस्तान भाग जाने का सेफ पैसेज देने के लिए सेना को मजबूर करने वाली केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार का वह कुकर्म जिसे देश आज भी नहीं भूला है। उल्लेखनीय है कि, ये फैसले लेने वाली कांग्रेस की तत्कालीन केंद्र सरकार के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह, रक्षा मंत्री शरद पवार और विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ही थे, गुलाम नबी आज़ाद भी संसदीय कार्य/उड्डयन मंत्री थे।
अतः कांधार में 166 निरीह-निर्दोष-निरपराध विमान यात्रियों के बदले 3 आतंकियों को छोड़ने पर आगबबूला होने का ढोंग पाखंड करने वाली कांग्रेस से देश जानना चाहता है कि, कांग्रेसी नेताओं की औलादों,दामादों और सालों को बचाने के लिए दर्ज़नों आतंकवादी क्यों छोड़े गए थे...???

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