Friday 14 September 2012

हिंदी हूँ मै हिंदी हूँ ..!!!

निराला हूँ मै, मधुशाला हूँ मै,

साहित्य का हाला हूँ मै ,मतवाला हूँ मै

परीक्षा हूँ मै ,पुरस्कार हूँ मै,


मानवता का प्यार हूँ मै ,

साहित्य का संसार हूँ मै,

तपस्वी हूँ मै, मनस्वी हूँ मै,

यशस्वी हूँ मै ,ओजस्वी हूँ मै,

युग परिवर्तन हूँ मै, पुरातन दर्शन हूँ मै,

हर कल्पना हूँ मै ,हर आधार हूँ मै,

साहित्य की आत्मा हूँ मै,

हर कलम में परमात्मा हूँ मै,

साहित्य के कण -कण में, नभ थल जल में

युग परिवर्तन की पगडण्डी हूँ मै,

हिंदी हूँ मै हिंदी हूँ !!



जन्म यौवन वृद्ध जीवन

मरण मुक्ति नव जीवन

हर युग की कथा हूँ मै

कलम की कोख से निकली हर व्यथा हूँ मै

हर युग की अधूरी पूरी और कथा हूँ मै

सरस्वती अनुसंगा हूँ मै

मन की निर्मल गंगा हूँ मै

कलमकार की साधना हूँ मै

कल्पना की आराधना हूँ मै

काले अक्षरों में रोशनी की बात

कलम की स्याह में परिवर्तन की याद

अज्ञान का संघारक हूँ मै

ज्ञान पथ का संचालक हूँ मै

कल्पना की यथार्थ सिद्धि हूँ मै

आज अपनों में ही बंदी हूँ मै

हिंदी हूँ मै हिंदी हूँ !!



प्रारब्द्ध से अनंत ,अचर से चराचर हूँ

सदा अजर अमर साहित्य की लहर हूँ

ज्ञान गंगा की श्रोत तपस्वी भारत की शोध हूँ

श्रंगार सम्पूर्णता की बिंदी हूँ

विश्व साहित्य की धरोहर हिंदी हूँ

क्यों आज अपनों के बीच मै बंदी हूँ ?

ओह ! हिंदवाशी धर्म की काशी

खुद के आधार को जान लो, हिंदी को पहचान लो

हर कलमकार की ज़िन्दगी हूँ मै

हिंदी हूँ मै हिंदी हूँ !!



रस छंद अलंकार वात्सल्य करुनामय प्यार हूँ

श्रृंगार वियोग संयोग में साहित्य का अनंत व्योम हूँ

हिंदी अनंत है संत है स्वतंत्र है साहित्य का महंत है

लाख पतझर आये जाये पर हिंदी तो बसंत है

योगी भारत के वंशज ज्ञान पुंज के अंशज

हिंदी को साध लो हिंदी को जान लो

बनके पहचान तेरी हिंदी जीवन भर साथ निभाएगी

हर युग में राह दिखाएगी सम्मान दिलाएगी

हर युग में परिवर्तन की पगडण्डी हूँ

हर कलमकार की अधूरी ज़िन्दगी हूँ

हिंदी हूँ मै हिंदी हूँ !!

-विश्व हिंदी दिवस के इस पावन पुनीत दिवस पर मन में यह संकल्प लीजिये कि हिंदी की पुरातन पहचान एवं प्रतिष्ठा को नव जीवन देंगे !

रचनाकार: अरविन्द योगी जी.

Thursday 13 September 2012

"हाथ" का हथकंडा: गरीबों को लूटो, अमीरों को बांटों ...!!!

आज रात से पेट्रोलियम मंत्रालय ने डीजल के दामों में भारी बढ़ोतरी की है। सरकार ने डीजल के दाम 5 रुपए प्रति लीटर बढ़ा दिए हैं। बढ़े दाम आज आधी रात से लागू होंगे। इतना ही नहीं रसोई गैस पर कोटा सिस्टम भी लगा दिया गया है। अब साल में केवल छह सिलिंडरों पर सबसिडी मिला करेगी। सरकार का कहना है सब्सिडी के कारण तेल कम्पनियों को तथाकथित एक लाख तीस हज़ार करोड़ के घाटे को घटाने के लिए उसने ये फैसला किया है.
दो से दस लाख करोड़ तक का कोयला घोटाला, पौने दो लाख करोड़ से तीन लाख करोड़ तक 2G घोटाला, 70 हज़ार से एक लाख करोड़ तक का CWG घोटाला करने वाली, तथा देश के बड़े औद्योगिक घरानों को प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख करोड़ की टैक्स छूट देने वाली सरकार की ये दुहाई देख सुनकर याद आती हैं जनकवि स्व.अदम गोंडवी जी की ये पंक्तियाँ.....

वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है
उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है
इधर एक दिन की आमदनी का औसत है चवन्नी का
उधर लाखों में गांधी जी के चेलों की कमाई है

कोई भी सिरफिरा धमका के जब चाहे जिना कर ले
हमारा मुल्क इस माने में बुधुआ की लुगाई है
रोटी कितनी महँगी है ये वो औरत बताएगी
जिसने जिस्म गिरवी रख के ये क़ीमत चुकाई है

लगी है होड़ - सी देखो अमीरी औ गरीबी में
ये गांधीवाद के ढाँचे की बुनियादी खराबी है
तुम्हारी मेज़ चांदी की तुम्हारे जाम सोने के
यहाँ बुधिया के घर में आज भी फूटी रक़ाबी है

जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक़्क़ाम कर देंगे
कमीशन दो तो हिन्दोस्तान को नीलाम कर देंगे
ये बन्दे-मातरम का गीत गाते हैं सुबह उठकर
मगर बाज़ार में चीज़ों का दुगुना दाम कर देंगे
सदन में घूस देकर बच गई कुर्सी तो देखोगे
वो अगली योजना में घूसखोरी आम कर देंगे

अमर बलिदानी "जतिन दा" का अनंतकाल तक ऋणी रहेगा देश

ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लगातार 63 दिनों तक अनशन के बाद जेल में तेरह सितंबर 1929 को महान क्रांतिकारी यतीन्द्र नाथ दास (उनके क्रन्तिकारी साथी उन्हें स्नेह से "जतिन दा " ही कहते थे) के शहीद होने से देश का वातावरण एक साथ आंसुओं और विद्रोह की चिंगारियों से भर उठा था। कहा जाता है कि उनके अंतिम संस्कार में लगभग दस लाख लोग शामिल हुए थे और उनकी चिता की राख से "तिलक" करने की होड़ के कारण जहां उनकी चिता जलाई गयी थी वह स्थान एक गड्ढे में परिवर्तित हो गया था.
उनकी शहादत क्रांति की एक मशाल बनकर उठी जिसने सारे देश में बगावत की रोशनी फैला दी। क्या कोई जानता है कि, अमर बलिदानी "जतिन दा" के परिजन आज कहाँ और किस हाल में हैं.?
ये सवाल उन ठगों-बहुरूपियों के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ की तरह है जो अपने बाप दादों द्वारा काटी गयी कुछ महीनों-सालों तक "A" श्रेणी जेल की सज़ा की कीमत पिछले 65 सालों से इस देश का हुक्मरान बनकर वसूल रहे हैं.
अंग्रेजी हुकूमत से अपनी बात मनवाने के लिए 13 जुलाई 1929 को भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त तथा उनके साथियों ने भख हड़ताल कर दी थी.। इस अवसर पर यतीन्द्र नाथ दास ने कहा था कि ”हड़ताल का ऐलान करके हम लोग एक लम्बे संघर्ष में उतर रहे है, जो एक मायने में कठिन है। अनशन पर तिल-तिल कर इंच-इंच मौत की ओर सरकने की अपेक्षा पुलिस की गोली का शिकार होकर या फांसी पर झूलकर मर जाना आसान है पर एक बार अनशन के मैदान में उतर कर पीछे हटना क्रातिकारियों की प्रतिष्ठा को नीचे गिराना है।” यतीन्द्र ने यह भी कहा था कि ”जहां तक उनका सवाल है एक बार अनशन आरम्भ होने पर वह उस समय तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक सरकार क्रातिकारियों की मागें स्वीकार नहीं कर लेती। अनशन के दौरान बीमार पड़ने पर भी कोई भी मुंह से किसी प्रकार की दवाइयां आदि नहीं लेगा और कोई भी क्रातिंकारी शरीर में शक्ति रहते बलपूर्वक दूध पिलाने के अधिकारियों के प्रयासों का विरोध करता रहेगा।” उन दिनों अनशन तोड़ने के लिए जेल अधिकारी अच्छा सुगन्धित खाना बनवा कर रखते थे। लेकिन अन्य अनशनकारी जहां भोजन को बाहर फेंक दिया करते थे, वहीं यतीन्द्र नाथ में इतना आत्म संयम था कि वह भोजन को छूते तक नहीं थे न बाहर फेंकते थे, और न खाते थे। उनकी कोठरी से जेलकर्मी रोज पूरा भोजन वापस ले जाते थे। अनशन तुड़वाने के लिए 26 जुलाई 1929 को अन्य साथियों से फुर्सत पाने के बाद जवानों ने यतीन्द्र को पूरी तरह काबू कर लिया और उनकी नाक में नली डाली। यतीन्द्र ने उसे मुंह से निकाल कर दांतों से दबा लिया। डॉक्टर ने दूसरी नली उसकी दूसरे नथुने में डालनी आरम्भ की। यतीन्द्र का दम घुटने लगा, फिर भी मुंह खोले बगैर वह दूसरी नली को भी पेट में जाने से रोकने का प्रयास करते रहे। दूसरी नली पेट में न जाकर उनके फेफड़ों में चली गई। डॉक्टर जल्दी में था वह अपनी विजय को हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। दम घुटने से यतीन्द्र की आंख उलट चुकी थी। लेकिन चेहरे को देखे बिना डॉक्टर ने लगभग एक सेर दूध उनके फेफड़ों में भर दिया और विजयोल्लास में उन्हें छटपटाता छोड़कर चला गया। अनशन के 63वें दिन उनकी हालत खराब देखकर डॉक्टरों ने उन्हें इजेंक्शन लगाना चाहा। उनका अनुमान था कि अचेतन अवस्था में यतीन्द्र को शायद पता न चल पाएगा कि उन्हें इंजेक्शन लगाया जा रहा है। लेकिन यतीन्द्र ने उन्हें मना कर दिया और कुछ देर बाद उन्होंने सदा-सदा के लिए आखें बन्द कर ली। दोस्तों की संगति में और राष्ट्रीय तराने की धुन के बीच यतीन्द्र ने दम तोड़ दिया। ।
माँ भारती के इस अजर-अमर विलक्षण बलिदानी सपूत को कोटि-कोटि प्रणाम...!!! विनम्र श्रद्धांजलि...

Wednesday 12 September 2012

क्या गजब की समानता है...!!!

आकार-प्रकार और आचरण में क्या गजब की समानता है..
ज़रा सोचिये की भगवन ने कुत्ते को देखकर पाकिस्तान बनाया या फिर पाकिस्तान को देखकर कुत्ते को बनाया..
विश्वास न हो रहा हो तो नीचे के इस LINK पर क्लिक कर के पुष्टि कर लीजिये...!!!
http://2.bp.blogspot.com/-x1vA7P6wBkM/Tgt8usyLM4I/AAAAAAAAA1g/WNMxZgr7lQI/s1600/map_pakistan.jpg

Monday 3 September 2012

मनमोहन तो महमूद गजनवी का भी बाप निकला.

ये मनमोहन तो महमूद गजनवी का भी बाप निकला.
गजनवी तो केवल दौलत लूटता था ये तो देश के जल जंगल और जमीन तक को नहीं बख्श रहा.
आज ही एक अंग्रेजी अखबार में छपी विशेष रिपोर्ट के अनुसार 2004 से अबतक देश के समुद्री तटों से 48 लाख करोड़ का थोरियम गायब हो चुका है.
धरती आकाश और पाताल की सम्पदा बेचने के बाद अब समुद्री सम्पदा को भी बेच डाला एक और जघन्य लूट ! कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार कहाँ तक और कितना लूटेगी देश को ?
थोरियम की लूट से सम्बन्धित समाचार की पुष्टि के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करिए.
http://www.thestatesman.net/index.php?option=com_content&view=article&id=422057%3Aspecial-article&catid=38%3Aeditorial&from_page=search
इस थोरियम लूट की कथा हिंदी में पढनेके लिए ये लिंक क्लिक करिए.
http://mediadarbar.com/11496/48-lakh-crore-nuclear-fule-robbery/