निराला हूँ मै, मधुशाला हूँ मै,
साहित्य का हाला हूँ मै ,मतवाला हूँ मै
परीक्षा हूँ मै ,पुरस्कार हूँ मै,
मानवता का प्यार हूँ मै ,
साहित्य का संसार हूँ मै,
तपस्वी हूँ मै, मनस्वी हूँ मै,
यशस्वी हूँ मै ,ओजस्वी हूँ मै,
युग परिवर्तन हूँ मै, पुरातन दर्शन हूँ मै,
हर कल्पना हूँ मै ,हर आधार हूँ मै,
साहित्य की आत्मा हूँ मै,
हर कलम में परमात्मा हूँ मै,
साहित्य के कण -कण में, नभ थल जल में
युग परिवर्तन की पगडण्डी हूँ मै,
हिंदी हूँ मै हिंदी हूँ !!
जन्म यौवन वृद्ध जीवन
मरण मुक्ति नव जीवन
हर युग की कथा हूँ मै
कलम की कोख से निकली हर व्यथा हूँ मै
हर युग की अधूरी पूरी और कथा हूँ मै
सरस्वती अनुसंगा हूँ मै
मन की निर्मल गंगा हूँ मै
कलमकार की साधना हूँ मै
कल्पना की आराधना हूँ मै
काले अक्षरों में रोशनी की बात
कलम की स्याह में परिवर्तन की याद
अज्ञान का संघारक हूँ मै
ज्ञान पथ का संचालक हूँ मै
कल्पना की यथार्थ सिद्धि हूँ मै
आज अपनों में ही बंदी हूँ मै
हिंदी हूँ मै हिंदी हूँ !!
प्रारब्द्ध से अनंत ,अचर से चराचर हूँ
सदा अजर अमर साहित्य की लहर हूँ
ज्ञान गंगा की श्रोत तपस्वी भारत की शोध हूँ
श्रंगार सम्पूर्णता की बिंदी हूँ
विश्व साहित्य की धरोहर हिंदी हूँ
क्यों आज अपनों के बीच मै बंदी हूँ ?
ओह ! हिंदवाशी धर्म की काशी
खुद के आधार को जान लो, हिंदी को पहचान लो
हर कलमकार की ज़िन्दगी हूँ मै
हिंदी हूँ मै हिंदी हूँ !!
रस छंद अलंकार वात्सल्य करुनामय प्यार हूँ
श्रृंगार वियोग संयोग में साहित्य का अनंत व्योम हूँ
हिंदी अनंत है संत है स्वतंत्र है साहित्य का महंत है
लाख पतझर आये जाये पर हिंदी तो बसंत है
योगी भारत के वंशज ज्ञान पुंज के अंशज
हिंदी को साध लो हिंदी को जान लो
बनके पहचान तेरी हिंदी जीवन भर साथ निभाएगी
हर युग में राह दिखाएगी सम्मान दिलाएगी
हर युग में परिवर्तन की पगडण्डी हूँ
हर कलमकार की अधूरी ज़िन्दगी हूँ
हिंदी हूँ मै हिंदी हूँ !!
-विश्व हिंदी दिवस के इस पावन पुनीत दिवस पर मन में यह संकल्प लीजिये कि हिंदी की पुरातन पहचान एवं प्रतिष्ठा को नव जीवन देंगे !
रचनाकार: अरविन्द योगी जी.
साहित्य का हाला हूँ मै ,मतवाला हूँ मै
परीक्षा हूँ मै ,पुरस्कार हूँ मै,
मानवता का प्यार हूँ मै ,
साहित्य का संसार हूँ मै,
तपस्वी हूँ मै, मनस्वी हूँ मै,
यशस्वी हूँ मै ,ओजस्वी हूँ मै,
युग परिवर्तन हूँ मै, पुरातन दर्शन हूँ मै,
हर कल्पना हूँ मै ,हर आधार हूँ मै,
साहित्य की आत्मा हूँ मै,
हर कलम में परमात्मा हूँ मै,
साहित्य के कण -कण में, नभ थल जल में
युग परिवर्तन की पगडण्डी हूँ मै,
हिंदी हूँ मै हिंदी हूँ !!
जन्म यौवन वृद्ध जीवन
मरण मुक्ति नव जीवन
हर युग की कथा हूँ मै
कलम की कोख से निकली हर व्यथा हूँ मै
हर युग की अधूरी पूरी और कथा हूँ मै
सरस्वती अनुसंगा हूँ मै
मन की निर्मल गंगा हूँ मै
कलमकार की साधना हूँ मै
कल्पना की आराधना हूँ मै
काले अक्षरों में रोशनी की बात
कलम की स्याह में परिवर्तन की याद
अज्ञान का संघारक हूँ मै
ज्ञान पथ का संचालक हूँ मै
कल्पना की यथार्थ सिद्धि हूँ मै
आज अपनों में ही बंदी हूँ मै
हिंदी हूँ मै हिंदी हूँ !!
प्रारब्द्ध से अनंत ,अचर से चराचर हूँ
सदा अजर अमर साहित्य की लहर हूँ
ज्ञान गंगा की श्रोत तपस्वी भारत की शोध हूँ
श्रंगार सम्पूर्णता की बिंदी हूँ
विश्व साहित्य की धरोहर हिंदी हूँ
क्यों आज अपनों के बीच मै बंदी हूँ ?
ओह ! हिंदवाशी धर्म की काशी
खुद के आधार को जान लो, हिंदी को पहचान लो
हर कलमकार की ज़िन्दगी हूँ मै
हिंदी हूँ मै हिंदी हूँ !!
रस छंद अलंकार वात्सल्य करुनामय प्यार हूँ
श्रृंगार वियोग संयोग में साहित्य का अनंत व्योम हूँ
हिंदी अनंत है संत है स्वतंत्र है साहित्य का महंत है
लाख पतझर आये जाये पर हिंदी तो बसंत है
योगी भारत के वंशज ज्ञान पुंज के अंशज
हिंदी को साध लो हिंदी को जान लो
बनके पहचान तेरी हिंदी जीवन भर साथ निभाएगी
हर युग में राह दिखाएगी सम्मान दिलाएगी
हर युग में परिवर्तन की पगडण्डी हूँ
हर कलमकार की अधूरी ज़िन्दगी हूँ
हिंदी हूँ मै हिंदी हूँ !!
-विश्व हिंदी दिवस के इस पावन पुनीत दिवस पर मन में यह संकल्प लीजिये कि हिंदी की पुरातन पहचान एवं प्रतिष्ठा को नव जीवन देंगे !
रचनाकार: अरविन्द योगी जी.