Monday 23 January 2012

गाँधी के तीन बन्दर भी लजा रहे होंगें,मुंह दबाकर हंस रहे होंगें...!!!

कैप्टेन अमरिंदर सिंह को पंजाब में अपनी तथाकथित भावी सरकार का भावी मुख्यमंत्री बता रही है कॉंग्रेस.
इन दिनों उत्तरप्रदेश में किसी उद्दण्ड-उजड्ड चुनावी लठैत की तरह अपनी पार्टी की तथाकथित ईमानदारी का झंडा-डंडा जोर-शोर से भांज रहे "पप्पू नेता" की खुद की पार्टी कॉंग्रेस की "पंजाब टीम" का कैप्टेन कितना गज़ब का सच्चा और ईमानदार है.? इसका उदाहरण उस कैप्टेन द्वारा अपने नामांकन पत्र के साथ दिए गए उसकी आय और संपत्ति का ब्यौरा दे रहा है.
देश के शिमला जैसे महंगे और मशहूर पर्यटन स्थल में अपनी 41 बीघा जमीन की कीमत कैप्टेन ने केवल 10 लाख रुपये बतायी है.
उल्लेखनीय है की लखनऊ जैसे शहर से 25-30 किलोमीटर की दूरी पर भी केवल 1 बीघा जमीन की कीमत 15 से 20 लाख रुपये के मध्य है.
इसी तरह देश के किसी गाँव-कसबे में भी जिस दर पर भूमि मिलना संभव नही है. उस दर(21रू./वर्ग फीट) पर हरिद्वार स्थित अपने 65000 वर्ग फीट के प्लॉट की कीमत कैप्टेन ने केवल 13,80,000 रुपये दर्शायी है.
"पप्पू नेता" की पार्टी की पंजाब टीम के इस कैप्टेन ने और कई तरहों से चुनाव आयोग तथा देश-प्रदेश की जनता की आँखों में जबर्दस्त धूल झोंकने की कोशिश की है.
विस्तृत विवरण के लिए इस LINK पर क्लिक करिए.
http://www.indianexpress.com/news/the-unchanging-value-of-amarinders-properties/903172/0
इन दिनों उत्तरप्रदेश में
अपनी पार्टी की तथाकथित ईमानदारी का बहुत मोटा "पोथा-पत्रा" लेकर उसे बांचते घूम रहे "पप्पू नेता" को अपने इस कैप्टेन की यह करतूत दिखायी क्यों नहीं देती.?
इस सवाल को देख-पढ़ कर गाँधी के तीन बन्दर भी लजा रहे होंगें,मुंह दबाकर हंस रहे होंगें...!!!
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इतिहास जिनकी गाथा गाता रहेगा, उन सुभाष जी को शत शत नमन.

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अजर-अमर अपराजेय "योद्धा", नेता जी सुभाष चंद्र बोस की आज 115वीं जयंती है. उनका जन्म-23 जनवरी, 1897,को कटक उड़ीसा में हुआ था.
नेता जी के अतिरिक्त हमारे देश के इतिहास में ऐसा कोई व्यक्तित्व नहीं हुआ जिसकी छवि एक महान सेनापति, वीर सैनिक, राजनीति के अदभुत दिग्गज और इतिहास प्रसिद्ध विश्वविख्यात अंतर्राष्ट्रीय सेनानायकों, नेताओं के समकक्ष कूटनीतिज्ञ की हो.

भारत की स्वतंत्रता के लिए सुभाष चंद्र बोस ने क़रीब-क़रीब पूरे यूरोप में अलख जगायी. बोस प्रकृति से साधु, ईश्वर भक्त तथा तन एवं मन से देशभक्त थे.

सुभाष चंद्र बोस का एक ऐसा व्यक्तित्व था, जिसका मार्ग कभी भी स्वार्थों ने नहीं रोका, जिसके पाँव लक्ष्य से पीछे नहीं हटे, जिसने जो भी स्वप्न देखे, उन्हें साधा और जिसमें सच्चाई के सामने खड़े होने की अदभुत क्षमता थी.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस सर्व कालिक नेता थे जिनकी ज़रूरत कल थी, आज है और आने वाले कल में भी होगी। वह ऐसे वीर सैनिक थे इतिहास जिनकी गाथा गाता रहेगा। उनके विचार, कर्म और आदर्श अपना कर राष्ट्र वह सब कुछ हासिल कर सकता है जिसका हक़दार है। स्वतंत्रता समर के अमर सेनानी, मां भारती के सच्चे सपूत थे. यह देश अनंतकाल तक माँ भारती के इस विलक्षण सपूत के संघर्ष और बलिदान का ऋणी रहेगा

Sunday 22 January 2012

पद की गरिमा-मर्यादा को अपने झूठ से जमकर रौंदा-कुचला

सलमान रश्दी के भारत दौरे से ठीक पहले अपने ही कुछ गुर्गों से उसके विरोध में आवाज़ उठवायी उसके बाद यह शर्मनाक सन्देश भी दिया कि, कॉंग्रेस देश के, विशेष कर उत्तरप्रदेश के मुस्लिमों की धर्मान्ध कट्टरता के तुष्टिकरण के लिए हर तरीके का हथकंडा अपना सकती है.(उत्तरप्रदेश के चुनाव के कारण)
इस बार अपने ऐसे ही एक शर्मनाक हथकंडे के लिए कॉंग्रेस ने मुख्यमंत्री सरीखे संवैधानिक पद तक की गरिमा-मर्यादा को जमकर रौंदने-कुचलने में कोई हिचक नहीं दिखायी.
सलमान रश्दी के भारत आगमन से पहले ही खुद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सलमान रश्दी की जान को खतरा बताने वाली अफवाह उडायी, इसके पक्ष में तर्क यह दिया गया की महाराष्ट्र पुलिस से यह सूचना मिली है कि, मुंबई अंडरवर्ल्ड के हत्यारों द्वारा राजस्थान दौरे के दौरान रश्दी की जान लेने की योजना बनायीं गयी है.
राजस्थान सरकार द्वारा फैलायी गयी इस अफवाह की धज्जियाँ खुद महाराष्ट्र पुलिस के महानिदेशक पी.के. सुब्रह्मनियम ने यह कहकर उड़ा दीं कि, "जब हमारे पास ही ऐसी कोई सूचना नहीं है तो हम किसी दूसरे को ऐसी कोई सूचना क्यों देंगे...??".
ध्यान रहे कि इस से पहले देश में सलमान रश्दी की यात्रा विवाद से सम्बन्धित बहस को लगभग 150 अपराधिक मुकदमों से घिरे तथा भारत की अदालतों का सामना करने से बचने के लिए से फरार हुए अपराधी एम्.ऍफ़. हुसैन से जोड़ने की शातिर कोशिशें जमकर की गयीं. जबकि सब जानते हैं कि हिन्दू देवी देवताओं के अलावा भारतमाता तक का नग्न चित्र बनाने का राक्षसी कुकर्म करने वाले अपराधी हुसैन को इस देश में किसी ने एक थप्पड़ भी कभी नहीं मारा था. उसको देश से बाहर खदेड़ने का "फतवा" भी किसी ने जारी नहीं किया था. देश में उसके विरुद्ध लगभग डेढ़ सौ से अधिक अपराधिक मुकदमें जरूर दर्ज हुए थे, वे मुकदमें जब अपने अंजाम पर पहुँच कर उस धूर्त हुसैन को देश के संविधान के तहत जेल के सींखचों के पीछे भेजने का फैसला सुनाने वाले थे तब वो कुकर्मी भगोड़ा अपराधी देश से फरार हो गया था. लेकिन सरकारी सिक्कों की खनक पर बौद्धिक वेश्यावृत्ति करने-करवाने वाले सामाजिक दलालों सरीखे तथाकथित बुद्धजीवियों और मीडियायी "कौव्वों" ने सलमान रश्दी की यात्रा के धर्मांध विरोध को उस भगोड़े अपराधी हुसैन के देश से फरार होने के कुकर्म से जोड़ने के निर्लज्ज प्रयास किये.
राजस्थान सरकार द्वारा बोले गए झूठ और महाराष्ट्र पुलिस के महानिदेशक द्वारा उड़ायी गयीं उस झूठ की धज्जियों से सम्बन्धित समाचार की पुष्टि के लिए नीचे दिए गए link पर क्लिक करिए.
http://www.thehindu.com/news/national/article2820796.ece?homepage=true

Wednesday 18 January 2012

क्या अपनी साख और धाक पूरी तरह स्वाहा कर लेंगे बाबा रामदेव.? ·

बाबा रामदेव को देश को
यह बताना ही होगा कि
अबतक वो ऐसा कौन सा
आपत्तिजनक कार्य करते थे
जिसका स्पष्टीकरण
उनसे माँगा गया
था
उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा कि स्थिति काफी बेहतर मानी जा रही थी. लेकिन बाबूसिंह कुशवाहा के साथ उसकी गलबहियों के समाचार ने एक झटके में उसको हाशिये पर पहुँचाने का काम किया. संभवतः बाबा रामदेव इस तथ्य से भलीभांति परिचित भी होंगे. इसलिए वे विशेष सावधानी बरतें क्योंकि खबरें आ रही हैं कि "योग गुरु बाबा रामदेव और टीम अन्ना अब एक साथ चुनाव प्रचार करेगी। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दोनों ने हाथ मिला लिया है, दोनों मिलकर साफ छवि के उम्मीदवारों को वोट देने के लिए मतदाताओं को जागरूक करने का काम करेंगे. दोनों किसी खास पार्टी के पक्ष या खिलाफ में वोट नहीं मांगेंगे. टीम अन्ना के सदस्य मनीष सिसोदिया ने बाबा रामदेव से मुलाकात कर साथ आने की पेशकश की थी. सूत्रों के मुताबिक बाबा रामदेव ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है."
यदि यह समाचार सत्य है निश्चित जानिये कि बाबा रामदेव ने अपनी साख और धाक को पूरी तरह स्वाहा करने की राह पर बढ़ने जा रहे हैं. प्रशांत भूषन सरीखे देशविरोधी मानसिकता. केजरीवाल, किरण बेदी सरीखे बेनकाब हो चुके जालसाज़, न्यायालय से बेईमान घोषित हो चुके शांतिभूषण, भारत को लूट रहे विदेशी और देशी कार्पोरेट आकाओं से दान-चंदा वसूलने का गोरखधंधा करने वाले मनीष सिसोदिया तथा मेधा पाटकर और संदीप पाण्डेय सरीखे भारतीय सेना के चिर शत्रुओं के साथ बाबा रामदेव कौन सी और कैसी लड़ाई.? किसके लिए किस तरह लड़ेंगे.? इन शर्मनाक सवालों का जवाब उन्हें देश को देना ही होगा.?
और इस से भी बड़ा सवाल यह कि खुद अन्ना हजारे और उपरोक्त अन्ना गैंग ने पिछले नौ महीनों के दौरान बाबा रामदेव को सार्वजनिक रूप से अपमानित लांक्षित करने का कोई मौका गंवाया नहीं है, उन्हें अपमानित करने के लिए उनसे तरह-तरह के स्पष्टीकरण सार्वजनिक रूप से मीडिया के माइकों पर चिल्ला-चिल्ला कर मांगे थे.
अतः बाबा रामदेव को देश को यह भी बताना ही होगा कि अबतक वो ऐसा कौन सा आपत्तिजनक कार्य करते थे जिसका स्पष्टीकरण उनसे माँगा गया था और जिसके बाद वो इस गैंग के हमप्याला-हमनिवाला बनने जा रहे हैं.
अन्ना गैंग की सोहबत के साथ ही अभी ऐसे अनेक संगीन सवाल और उपजेंगे जिनके जवाब देना बाबा रामदेव को बहुत भारी पड़ेगा.
खबर से सम्बन्धित लिंक
http://www.bhaskar.com/article/NAT-baba-ramdev-and-team-anna-again-together-2763035.html?HT1

Monday 16 January 2012

कहाँ खो गयी...??? कहाँ सो गयी "चैनली" रुदालियाँ...!!!

अपनी हिरासत में बंदी की हत्या करने, पुलिस भर्ती में जमकर घूसखोरी करने तथा एक वरिष्ठ वकील के खिलाफ फर्जी रिपोर्ट दर्ज कर उसको प्रताड़ित और ब्लैकमेल करने सरीखे गंभीर अपराधिक मुकदमों में अपने खिलाफ ठोस साक्ष्यों के कारण कानून के फौलादी शिकंजों में एक दशक पहले से बुरी तरह जकड़ा हुआ है गुजरात का कुख्यात पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट.
अपने उन जघन्य अपराधिक कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए संजीव भट्ट ने पिछले वर्ष नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आधारहीन अनर्गल आरोपों की बौछार कर दी थी.
तब भांड सरीखे कुछ खबरिया चैनलों ने संजीव भट्ट के लिए आंसू बहाते हुए उसके पक्ष तथा नरेन्द्र मोदी के विरोध में जोरशोर से "मातम पुर्सी" का अभियान ठीक उसी प्रकार चलाया था जिस प्रकार राजस्थान में "रुदालियाँ" किराया लेकर जोरदार शोक मनाती हैं.
इन दिनों वही संजीव भट्ट कांग्रेस के आयोजनों में मोदी विरोधी अपने पोस्टरों को कांग्रेसी फौज के साथ मिलकर लगवा रहा है. कांग्रेस के आयोजनों में पार्टी सदस्य की तरह अपने मोदी विरोधी पोस्टर भिजवा रहा है,चिपकवा रहा है.
उसके इस मोदी विरोधी अभियान में केवल कांग्रेसी रंगरूटों की फौज जी-जान से जुटी है.
लेकिन अपने-अपने स्टूडियो में भट्ट के साथ बैठकर संजीव भट्ट समर्थकऔर मोदी विरोधी शोकगीत गाती रहीं वो पत्रकारीय "रुदालियाँ" मुदों की तरह खामोश हैं, आखिर क्यों...?
क्योंकि इन्हीं रुदालियों ने इन दिनों बाबा रामदेव तथा उस से पहले अन्ना गैंग से यह पूछ-पूछ कर उनकी नाक में दम कर दिया था की वो भाजपा को फायदा पहुँचाने के लिए राजनीति तो नहीं कर रहे हैं....?
जबकि इनदिनों खुद संजीव भट्ट अपनी करतूतों से यह सिद्ध कर रहा है की वो गुजरात में चुनावी वर्ष में किस पार्टी को फायदा पहुँचाने के लिए उस पार्टी के दागदार(गंभीर अपराधिक मुकदमों से घिरे) कार्यकर्ता की तरह उछल-कूद कर रहा है.
लेकिन उसके इस कुकर्म पर दिल्ली स्टूडियों में बैठी मोदी विरोधी "रुदालियाँ" "आज" के गांधियों के तीन बंदरों की तरह "सच मत कहो-सच मत देखो-सच मत सुनों" का राग अलाप रहे हैं.
समाचार से सम्बन्धित link
http://timesofindia.indiatimes.com/city/ahmedabad/Mystery-surrounds-Sanjiv-Bhatts-posters-at-congress-fast-venue/articleshow/11518460.cms

"पप्पू नेता" जवाब दे कि,कुल 65 में से 55 और पिछले 7 सालों से उसकी पार्टी के शासन के बावजूद देश में शिक्षा का ये हाल क्यो ?

"पप्पू नेता" इन दिनों
उत्तरप्रदेश में
जाति और धर्म के ही
गीत जोर-शोर से
गा-बजा रहा है.
 उन्हीं फूहड़ गीतों की
 अश्लील धुनों पर
 ठुमके लगा रहा है
.
इन दिनों "पप्पू नेता" अपनी पार्टी का झंडा-डंडा लेकर उत्तरप्रदेश में जमकर "जातिवादी-साम्प्रदायिक" चुनावी ठुमके लगा रहा है. बुरी तरह भागदौड़ रहा है. हालांकि वो खुद और उसकी पार्टी के बड़े-बड़े बुजुर्ग नेता उसको देश के युवाओं का "मसीहा" बताते रहते हैं, लेकिन "पप्पू नेता" इन दिनों उत्तरप्रदेश में जाति और धर्म के ही गीत जोर-शोर से गा-बजा रहा है. उन्हीं फूहड़ गीतों की अश्लील धुनों पर ठुमके लगा रहा है. प्रदेशवासियों से सैम पित्रोदा सरीखे विशिष्ट तकनीकी विशेषज्ञ का परिचय उनकी "बढई" जाति का डंका पीट कर करवा रहा है. शिक्षा-दीक्षा की समुचित व्यवस्था के बिना मुस्लिमों को धर्म आधारित आरक्षण की अफीम भी खिला-सुंघा रहा है. जबकि वास्तविकता कुछ और ही है. पिछले सात सालों में इस "पप्पू नेता" की पार्टी की सरकार के सर्वशिक्षा अभियान नाम के सरकारी ढकोसले ने देश की नवजात पीढी की शैक्षिक पूँजी का सर्वनाश किस प्रकार किया है इसकी गवाही देती है "नवभारत टाइम्स" में प्रकाशित ये रिपोर्ट..........

ग्लोबल टेस्ट में नीचे से दूसरे नंबर पर रहे भारतीय छात्र
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दुनिया भर में आईटी सेक्टर के भारतीय छात्र भले ही बेहतरीन प्रदर्शन करते रहे हों, लेकिन कई दूसरे स्तर पर भारत अब भी शिक्षा के मामले में काफी पिछड़ा है और इंटरनैशनल लेवल पर खुद को साबित करने के लिए इसके एजुकेशन सिस्टम में बेहतरी की काफी गुंजाइश है। एक इंटरनैशनल स्टडी में भारतीय छात्रों का प्रदर्शन पूरी तरह फ्लॉप रहा है। 
अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्टडी में 15 साल की उम्र के भारतीय स्टूडेंट्स को दुनिया भर के इसी ऐज ग्रुप के स्टूडेंट्स के साथ रीडिंग, मैथ्स और साइंस संबंधी क्षमताओं से जुड़े असैसमेंट प्रोग्राम में बिठाया गया तो वह बुरी तरह पिछड़ गए। केवल किर्गीस्तान को हराते हुए भारतीय छात्र सेकंड लास्ट (नीचे से सेकंड) पॉजिशन पर आए। 
ऑर्गनाइजेशन फॉर इकॉनमिक को-ऑपरेशन ऐंड डिवेलपमेंट ( OECD ) द्वारा हर साल आयोजित किए जाने वाले प्रोग्राम फॉर इंटरनैशनल स्टूडेंट असैसमेंट (PISA) में 73 देशों से आए स्टूडेंट्स ने भाग लिया। यह असैसमेंट बच्चों एजुकेशन सिस्टम के मूल्यांकन के लिए किया जाता है। तकरीबन 5 लाख स्टूडेंट्स ने इसमें पार्टिसिपेट किया और यह सर्वे ढाई घंटे चला। 
PISA में चीन के शंघाई प्रांत से भी स्टूडेंट्स ने पहली बार ही भाग लिया था लेकिन इस सर्वे में वे रीडिंग फील्ड में टॉप पर रहे। मैथमेटिक्स और साइंस में भी उन्होंने ही टॉप किया। 
विश्लेषण में बताया गया, 'शंघाई के एक चौथाई से भी ज्यादा स्टूडेंट्स ने मुश्किल समस्याओं को सुलझाने में अडवांस्ड मैथमेटिकल थिंकिंग स्किल्स का प्रयोग किया, OECD के सिर्फ 3 परसेंट की तुलना में।' ग्लोबल टॉपर से भारतीय छात्र 200 अंकों से पिछड़े। 
सरकार ने इस प्रोग्राम में शामिल होने के लिए तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश से विद्यार्थियों का चयन किया था ताकि वे शिक्षा और विकास की चमकदार तस्वीर पेश करके आएं लेकिन नतीजे कुछ और ही सामने आए। 
इन 2 राज्यों की परफॉर्मेंस से जो नतीजे सामने आए, वह उदास करने वाले है। गणित में भारत ने मात्र किर्गीस्तान को हराया और दूसरे व तीसरे नंबर पर रहे। इंग्लिश टेक्स्ट पढ़ने में भी तमिलनाडु और हिमाचल के छात्र केवल किर्गीस्तान से बेहतर थे। उसमें भी इन राज्यों की लड़कियां लड़कों से काफी बेहतर थीं। सांइस के टेस्ट में हिमाचल के स्टूडेंट्स सबसे फिसड्डी साबित हुए और तमिलनाडु ने हल्का बेहतर प्रदर्शन किया और नीचे से तीसरे नबंर पर रहा। जाहिर है कि सरकार को अपने एजुकेशनल सिस्टम पर गौर करने की जरूरत है।
इस खबर से सम्बन्धित लिंक..
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11497318.cms

Saturday 14 January 2012

राजनीतिक किन्नरों को यह देश कब तक और क्यों स्वीकार करे.....??????

कुख्यात अपराधी कामरान सिद्दीकी को
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित द्वारा
समाजसेवक कह कर
सम्मानित किया जा चुका है.
 
स्थितियां अत्यंत खतरनाक संकेत कर रही हैं.
फेसबुक पर अनेकानेक समूहों एवं मित्रों की वॉल पर यह शर्मनाक चर्चा अपने चरम पर है कि,
"बाबा रामदेव पर स्याही फेंकने वाले का नाम कामरान
सिद्दीकी  है...बाटला हॉउस का रहने वाला है .पुलिस को उसके पास एसिड की दो बोतले मिली , वो पहले स्याही फेककर अफरातफरी मचाने के बाद बाबा रामदेव की एसिड से हत्या करना चाहता था . ये वही कामरान सिद्दकी है जिसके एनजीओ "आफ़ताब " का उदघाट्न सलमान खुर्शीद और दिग्विजय सिंह , अजीज बर्नी की उपस्थिति मे हुआ था .और कांग्रेस सरकार ने इसके एनजीओ को बीस लाख रूपये भी दान में दिए थे. इस अपराधी को एक समाजसेवक कह कर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने सम्मानित भी किया था. प्रारम्भिक जांच में ही स्वयम दिल्ली पुलिस के दस्तावेजों से यह भी सिद्ध हो चूका है कि, कामरान सिद्दीकी एक दुर्दांत अपराधी है, इसके उपर 13 क्रिमिनल केस दर्ज है . इसके उपर एन एस ए सरीखी अत्यंत गंभीर आपराधिक धारा भी लगी है . दंगे भडकाने , धमकी देने , गुंडागर्दी और हत्या की कोशिश जैसे मामले इसके उपर जामिया नगर थाने मे दर्ज है."


-->क्या देश की सरकार के कर्णधार इतने कायर और कुटिल हो चुके हैं कि एक सन्यासी योग गुरु से मिल रही राजनीतिक चुनौती का सामना करने का राजनीतिक साहस और मनोबल भी उनके पास नहीं बचा है...??????
-->राजनीतिक चुनौतियों का सामना अपराधियों, गुंडों, लफंगों के सहारे करने वाले राजनीतिक किन्नरों को यह देश कब तक और क्यों स्वीकार करे.....??????
इस प्रश्न का उत्तर यदि अभी नहीं ढूँढा गया तो भविष्य कल्पना से अधिक भयावह होगा

Friday 13 January 2012

भ्रष्ट नेताओं-अफसरों-कार्पोरेटी लुटेरों पर प्रतिबन्ध क्यों नहीं.?


अगर सरकार को फेसबूक से इतनी परेशानी है, तो इस देश को भ्रष्ट नेताओं-अफसरों-कार्पोरेटी लुटेरों से लाखों गुना अधिक परेशानी है. फेसबुक की तथाकथित अश्लील सामग्री इन भ्रष्ट नेताओं-अफसरों-कार्पोरेटी लुटेरों की तरह देश की जनता के लाखों करोड़ रुपयों की सालाना लूट नहीं करती.
फेसबुक की दुनिया में इन भ्रष्ट नेताओं-अफसरों-कार्पोरेटी लुटेरों की तरह 32 रुपये रोज कमाने वाले आम आदमी को "रईस" सिद्ध करने का जानलेवा भ्रमजाल नहीं फैलाया जाता. 
देश का कोई भी न्यायलय इन भ्रष्ट नेताओं-अफसरों-कार्पोरेटी लुटेरों को ब्लॉक क्यों नहीं करता....???


सरेआम देश को दोनों हाथों से लूट रहे इन भ्रष्ट नेताओं-अफसरों-कार्पोरेटी लुटेरों पर देश का कोई भी न्यायलय प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाता...???
गूगल के सर्च इंजन पर केवल porn movie लिख कर सर्च करिए तो इंटरनेट की दुनिया में उपलब्ध अश्लीलतम सामग्री वाली वेबसाइटों से सम्बन्धित लगभग डेढ़ करोड़ विवरण कुछ ही सेकेण्ड में नज़र आने लगते हैं.  
यह कोई आज की,या फिर नई बात भी नहीं है. इंटरनेट की दुनिया का ये अश्लील चेहरा वर्षों पुराना है.  लेकिन तब इस देश की सरकार और न्यायिक सक्रियता के ठेकेदार क्यों सो रहे थे...???

 हिन्दुओं की आस्था-श्रद्धा के सर्वोच्च शिखरों के
 अश्लीलतम चित्र बनाने वाले वाले 
मकबूल फ़िदा हुसैन सरीखे कुकर्मी को 
पद्मश्री एवं पद्मभूषण सरीखे सम्मान 
क्यों दिए गए थे...?

दरअसल फेसबुक या ऐसी ही कुछ अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर केवल एक राजनीतिक परिवार और उसके दल विशेष से सम्बन्धित तीखी टिप्पणियों के बाद अश्लीलता के काल्पनिक जिन्न को इन दिनों सुनियोजित साजिश के तहत जिन्दा किया गया है. अब उस जिन्न को मारने के लिए न्यायलय की आड़ लेकर फेसबुक सहित सभी सोशल नेटवर्किंग साइट्स को प्रतिबंधित करने का घृणित षड्यंत्र प्रारम्भ हो गया है. केवल एक परिवार विशेष और उसके दल के खिलाफ तीखी टिप्पणियों से तिलमिला कर करोड़ों भारतीयों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की निर्मम हत्या करने के पैशाचिक प्रयास करने वाली ये वही जमात है जो इस देश में करोड़ों हिन्दुओं की आस्था-श्रद्धा के सर्वोच्च शिखरों के अश्लीलतम चित्र बनाने वाले वाले मकबूल फ़िदा हुसैन सरीखे कुकर्मी को पद्मश्री एवं पद्मभूषण सरीखे सम्मानों से सम्मानित करती रही, राज्यसभा में मनोनीत कर सम्मानित करती रही, ये वही जमात है जो भारतीय सभ्यता-संस्कृति एवं जीवन पद्धत्तियों की नृशंस हत्या करने वाले समलैंगिक सम्बन्धों और लिव इन रिलेशनशिप सरीखे अराजक एवं अश्लीलतम आचरण को कानूनन वैधता प्रदान करती है.
यही जमात अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हिन्दू समाज से उस कुकर्मी हुसैन के उन जघन्य पापों को पुण्य समझने, उनका गुणगान करने का निर्लज्ज सन्देश निर्लज्जतापूर्वक देती रही है.
ऐसा लगता है की इस देश में हिरन्याकश्यप का राज है जो खुद को आकाश-पाताल-धरती पर पूरी तरह सुरक्षित कर सदा-सदा के लिए अमर हो जाना चाहता है,
लेकिन ऐसा सोच रहे सत्ताधारी चाटुकार संभवतः यह भूल गए हैं कि इस देश में जब-जब हिरन्याकश्यप सरीखे दानव पैदा हुए हैं तो उनके साथ ही साथ प्रहलाद और नरसिंह भगवान के जन्म लेने की परंपरा भी उतनी ही प्राचीन है.

Thursday 12 January 2012

ऐसे युगपुरुष को कोटि-कोटि नमन...!!!

वेदांत के विश्वविख्यात विलक्षण प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद जी की आज जयंती है. विवेकानन्दजी का जन्म १२ जनवरी सन्‌ १८६३ को हुआ.
उनका घर का नाम नरेन्द्र था. उनके पिताश्री विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे. वे अपने पुत्र नरेन्द्र को भी अँग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढ़ंग पर ही चलाना चाहते थे. नरेन्द्र की बुद्धि बचपन से बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी. परिणाम स्वरुप स्वामी विवेकानन्द ने अपना जीवन अपने गुरुदेव स्वामी रामकृष्ण परमहंस को समर्पित कर दिया.
25 वर्ष की अवस्था में उन्होंने गेरुआ वस्त्र धारण कर लिये. तत्पश्चात् उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की. सन्‌ 1893 में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म परिषद् हो रही थी. स्वामी विवेकानन्दजी उसमें भारत के प्रतिनिधि के रूप में पहुँचे. योरोप-अमेरिका के लोग उस समय पराधीन भारतवासियों को बहुत हीन दृष्टि से देखते थे. वहाँ लोगों ने बहुत प्रयत्न किया कि स्वामी विवेकानन्द को सर्वधर्म परिषद् में बोलने का समय ही न मिले. एक अमेरिकन प्रोफेसर के प्रयास से उन्हें थोड़ा समय मिला किन्तु उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चकित हो गये. इस सर्वधर्म सम्मेलन के भाषणों के बाद, "द न्यूयार्क हेराल्ड" ने लिखा कि, "धर्म सम्मेलन में सबसे महान व्यक्ति विवेकानन्द हैं। उनका भाषण सुनने के बाद यह प्रश्न अनायास खड़ा होता है कि ऐसे ज्ञानी देश को सुधारने के लिए धर्म प्रचारक भेजना कितनी बेवकूफी की बात है." फिर तो अमेरिका में उनका अत्यधिक स्वागत हुआ. वहाँ इनके भक्तों का एक बड़ा समुदाय हो गया. तीन वर्ष तक वे अमेरिका में रहे और वहाँ के लोगों को भारतीय तत्वज्ञान की अद्भुत ज्योति प्रदान करते रहे. उनकी वक्तृत्व-शैली तथा ज्ञान को देखते हुए वहाँ के मीडिया ने उन्हें साइक्लॉनिक हिन्दू का नाम दिया.
"आध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जाएगा" यह स्वामी विवेकानन्दजी का दृढ़ विश्वास था. अमेरिका में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की अनेक शाखाएँ स्थापित कीं। अनेक अमेरिकन विद्वानों ने उनका शिष्यत्व ग्रहण किया.
स्वामी जी ने अपने भारतीय समाज की त्रुटियों की ओर भी संकेत करते हुए कहा था कि, "हिन्दू समाज के दो व्यक्ति एक साथ मिलकर नहीं बैठ सकते और न ही अधिक दिनों तक एकत्र रह सकते हैं. जब मुसलमान या अंग्रेज जैसी कोई तीसरी शक्ति आकर हम पर राज करने लगती है, तब हम सज्जन बन जाते हैं. हमें इस बुराई को दूर करना होगा. हमें अपनी संगठित शक्ति का निर्माण कर राष्ट्र को सामर्थ्य संपन्न बनाना होगा. साहस का सूर्य उदित हो चुका है, भारत का उत्थान अवश्य होगा. किसी में यह शक्ति-सामर्थ्य नहीं है कि वह अब भारत को रोक सके. भारत अब फिर से निद्रा में नहीं डूबेगा. यह भीमाकार देश फिर से अपने पांवों पर खड़ा हो रहा है."
स्वामी विवेकानंद के इस ओजस्वी चरित्र का महत्व समझाते हुए कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने कहा था कि , "यदि कोई भारत को समझना चाहता है तो उसे विवेकानन्द को पढ़ना चाहिए"
योगी अरविन्द ने कहा था, "पश्चिमी जगत में विवेकानन्द को जो सफलता मिली, वह इस बात का प्रमाण है कि भारत विश्व-विजय करके रहेगा."
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने लिखा है, "स्वामी विवेकानन्द का धर्म राष्ट्रीयता को उत्तेजना देने वाला धर्म था. नई पीढ़ी के लोगों में उन्होंने भारत के प्रति भक्ति जगायी, उसके अतीत के प्रति गौरव एवं उसके भविष्य के प्रति आस्था उत्पन्न की. उनके विचारों से लोगों में आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान का भाव जगा है"
अपने सत्कर्मो के चलते दिव्यता प्राप्त कर युग पुरुष एवं सामाजिक समरसता के अग्रदूत स्वामी विवेकानन्द युवाओं के प्रेरणास्रोत है। राष्ट्र हित का व्रत लेकर उन्होंने पुरी दुनिया में भारतीय संस्कृति के धर्मध्वज को सम्मान एवं कीर्ति के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचाया. उठो जागो व लक्ष्य से पहले न रूकने का उनका ध्येय वाक्य आज भी राष्ट्रोत्थान की प्रेरणा दे रहा है.
ऐसे युगपुरुष को कोटि-कोटि नमन, शत-शत प्रणाम...!!!

Wednesday 11 January 2012

"पप्पू" पास होगा या फेल...???

 इन दिनों "पप्पू" ने
नेतागिरी का इम्तिहान
पास करने की
तीसरी कोशिश के लिए
उत्तरप्रदेश को
अपना परीक्षा केंद्र बनाया है.
नेतागिरी के सबसे बड़े कॉलेज की सबसे ऊंची क्लॉस में "मृतक आश्रित" कोटे से एडमिशन मिलने के बाद से पप्पू नेतागिरी का कोई इम्तिहान पास नहीं कर पाया है, 2009 में पहला इम्तिहान दिया तो पासिंग मार्क्स(बहुमत) तक भी नहीं पहुँच पाया तथा जो और जितने नम्बर पाया भी वो उस कॉलेज के "सरदार" की तथाकथित शराफत के रिपोर्ट कॉर्ड की भेंट चढ़ गए..
इसके बाद इम्तिहान पास करने के लिए पप्पू अपना "परीक्षा केंद्र" बिहार को बनवाया, लेकिन वहां के एक्जामिनर(मतदाता) इतने सख्त और समझदार निकले की पप्पू को प्राप्त अंकों(सीटों) का आकड़ा दो अंकों तक भी नहीं पहुंचा. हालत इतनी बदतर हुई की कॉलेज से "पप्पू" का नाम काट देने, उसको नेतागिरी छोड़ देने तक की सलाहें भी दीं जाने लगीं थीं. लेकिन "पप्पू" को प्राप्त मृतक आश्रित कोटे का विशेषाधिकार "पप्पू" के काम आ गया उसी कोटे ने ही उसकी रक्षा की. अब इन दिनों "पप्पू" ने नेतागिरी का इम्तिहान पास करने की तीसरी कोशिश के लिए उत्तरप्रदेश को अपना परीक्षा केंद्र बनाया है. इस तीसरी और आखिरी कोशिश में "पप्पू" को पास कराने के लिए पप्पू का पूरा कॉलेज हर सही गलत हथकंडा आजमा रहा है. धार्मिक आरक्षण के गोरख धंधे से लेकर जातिवादी जहरके नशे तक पूरे हथियारों हथ
कंडों को जमकर आजमाया जा रहा है. लेकिन "पप्पू" ऐसे हथियारों हथकंडों को देखने सुनने में उत्तरप्रदेश के एक्जामिनर कोई रूचि नहीं दिखा रहे हैं. इसके बावजूद खबरिया चैनलों पर "पप्पू" के उत्तर प्रदेश दौरे में दिए जा रहे भाषण तो बिना कांट-छांट के पूरे-पूरे दिखाये जा रहे है और एक दिन में कई-कई बार दिखाए जा रहे हैं, लेकिन अनाडी "पप्पू" के खिलाड़ी हथकंडों को देखने पहुँचने वाले दर्शकों के जमावड़े को बिलकुल नहीं दिखाने की विशेष सावधानी खबरिया चैनल बरत रहे हैं क्योंकि "पप्पू" की अपार लोकप्रियता का शर्मनाक सच उजागर हो जाएगा, यही नहीं किसी भी अख़बार में "पप्पू" की फोटुएं तो खूब छप रही हैं, लेकिन उसकी सभा की भीड़ की फोटो कोई नहीं देखी....
हथकंडों की हद तो यह है की देवरिया के चौरिचारा में हुई 4-5 हज़ार लोगों वाली "पप्पू" की जनसभा का समाचार "हिंदुस्तान" सरीखे राष्ट्रीय समाचारपत्र के मुखपृष्ठ पर 8 कॉलम के बैनर के साथ छपा.
लेकिन "पप्पू" के इस सबसे कठिन और शायद आखिरी इम्तिहान का नतीजा अभी भी साफ़ नहीं हो सका है, कुछ लोग "पास" कह रहे हैं तो बहुत लोग "फेल"....
देश भी उत्तरप्रदेश की जनता के फैसले का इन्तिज़ार कर रहा है और सोच रहा है कि
"पप्पू" पास होगा या फेल...???

Monday 9 January 2012

ये है संघर्ष का वास्तविक शंखनाद...!!!

जनता को देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ किसी "स्टैम्प ड्यूटी" चोर, किसी हवाई टिकट के ज्यादा पैसे वसूलने वाले चोर, किसी वर्षों के सरकारी बकाये/क़र्ज़ के लाखों हड़पने की साज़िश करने वाले चोर तथा पूरा वेतन लेकर विद्यालय से महीनों गायब रह के मंचों पर भांडगिरी करने वाले किसी वेतन चोर के भ्रष्टाचारी गठबंधन से बने चोरों के गिरोह से ऐसे किसी शंखनाद की आशा नहीं करनी चाहिए थी.
इस शंखनाद की शुरुआत भाई राजीव दीक्षित जी के साथ बाबा रामदेव ने ही की थी और वही उसे वास्तविक रूप में बढ़ा रहे है, और बढ़ाएंगे भी.
स्वामी रामदेव देश के 5 राज्यों में चुनावों के दौरान लोकपाल विरोधी ताकतों को शिकस्त देने के लिए नौजवानों के प्रशिक्षित दस्ते भेजेंगे। पंतजलि योग पीठ के इस प्रशिक्षण शिविर में भारतीय जनता पार्टी की नेता उमा भारती भी शामिल हुईं। उमा भारती ने युवकों को पांचों चुनावी राज्यों में प्रचार करने के कई गुर सिखाए। दिल्ली रवाना होने से पूर्व उमा भारती ने स्वामी रामदेव से बंद कमरे में पांच राज्यों में चुनावों के बारे में बातचीत की। इन नौजवानों को छह दिन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जो शुक्रवार को खत्म हो जाएगा।
माना जा रहा है कि उमा भारती रामदेव के बीच हुई बातचीत के बाद ही युवकों को कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करने की रणनीति समझाई गई। इस छह दिन क्े प्रशिक्षण शिविर में अर्थशास्त्री भरत झुनझुनवाला ने भी युवकों को चुनावों का गणित बताया। कैसे वे काले धन के बारे में लोगों को प्रशिक्षण दें यह भी झुनझुनवाला ने युवकों को बताया। प्रशिक्षण शिविर में करीब चार हजार नौजवानों ने हिस्सा लिया। ये युवक उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा, पंजाब के हैं। इन युवकों को पंतजलि योग पीठ के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की तरफ से दैनिक भोजन भत्ता और यात्रा भत्ता व अन्य सुविधाएं दी जाएंगी। इन युवकों को बताया जा रहा है कि कैसे वे जनता को अपने मुद्दों की तरफ आकर्षित करें।
पंतजलि योग पीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि ये प्रशिक्षित कार्यकर्ता लोगों को अधिक से अधिक तादाद में वोट देने के लिए जागृत करेंगे।
और उन्हें प्रेरित करेंगे कि वे अपने विधनसभा क्षेत्रों से साफ-सुथरी छवि के उम्मीदवार जिता कर भेजें जो लोकपाल का समर्थन और काले धन व भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में देशवासियों की आवाज विधानसभाओं में बुलंद कर सकें।
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि स्वामी रामदेव महाराज की लड़ाई कालेधन के खिलाफ है। कालाधन यदि हमारे देश में विदेशों से वापस आ जाए तो हमारा देश एक विकासशील राष्ट्र बन जाएगा। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हमारा यह ट्रेनिंग कैंप किसी खास पार्टी के पक्ष में नहीं है। न ही हमारा यह कैंप किसी पार्टी का मंच है। हम राजनीतिक दलों की राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र भावना से प्रेरित होकर काम कर रहे हैं। प्रशिक्षित युवक किसी पार्टी का प्रचार नहीं करेंगे। बल्कि वे युवक ईमानदार व राष्ट्र भक्त प्रत्याशियों को जिताने के लिए काम करेंगे।
आचार्य बाल कृष्ण ने बताया कि भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की तरफ से यह प्रशिक्षण शिविर चलाया जा रहा है। इस शिविर की गतिविधियां ‘राजीव भवन’ से संचालित हो रही हैं। राजीव भवन भारत स्वाभिमान ट्रस्ट राजीव दीक्षित की याद में बनाया गया है। इस ट्रस्ट के संस्थापकों में राजीव दीक्षित प्रमुख नाम है। राजीव दीक्षित से मुलाकात के बाद ही स्वामी रामदेव ने कालाधन के खिलाफ मुहिम छेड़ने की राष्ट्रव्यापी योजना बनाई ती। इस बीच दीक्षित का निधन हो गया और स्वामी रामदेव को आचार्य बालकृष्ण को लेकर यह मुहिम चलानी पड़ी। इसी मुहिम की रणनीति के चलते 4 जून को दिल्ली के रामलीला मैदान में धरना दिया गया था जहां दिल्ली पुलिस ने कार्यवाही की थी।
नीचे इस समाचार से सम्बंधित LINK दिया गया है.
http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/1-2009-08-27-03-35-27/8291-2012-01-06-05-08-52

"पवार" प्रेम दिखा अन्ना ने खुद ही नोच दी अपनी नकाब...!!!

बेचारे अन्ना भक्त मेरे ऊपर आगबबूला हैं क्योंकि मैं बेचारे अन्ना भक्तों को लगातार नयी नयी दिशाओं से नए नए दर्पण नए नए कोंड़ों से दिखा कर तमतमाने-बौखलाने पर मजबूर कर देता हूँ.
लेकिन मैं करू भी तो क्या, अब जब किशन बाबूराव हजारे उर्फ़ "अन्ना" साहब एक-एक करके अपनी नकाब की परतें खुद ही पलटते हैं, असली चेहरा दिखलाते चलते हैं तो मैं देखता भी हूँ सुनता भी हूँ और कहता भी हूँ, क्योंकि अन्ना भक्तों की तरह अँधा बहरा तो हूँ नहीं. अब ताज़ा मामला ही ले लीजिये, भारत भूमि पर "सदाचार" के इकलौते और दुर्लभ ठेकेदार किशन बाबूराव हजारे उर्फ़ "अन्ना" साहब ने आज जब अपने अराजनीतिक नकाब की एक और परत नोंची तो उसके बाद उनका जो चेहरा दिखा वो गज़ब था. अब किसी भी ऐरे-गैरे के कहने से किशन बाबूराव हजारे उर्फ़ "अन्ना" सदाचारी राजनेता आदरणीय शरद पवार जी को बेईमान या भ्रष्टाचारी थोड़े ही मान लेंगे. यह प्रमाणपत्र देने का ठेका तो खुद उनके पास या फिर उनके अन्ना गैंग के पास ही है. इसीलिए....
अन्ना हजारे ने सोमवार को एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत रालेगण सिद्धि के सरपंच जयसिंह मपारे को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के टिकट पर जिला परिषद का अगला चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी।
एनसीपी कार्यकर्ता रहे मपारे ने अन्ना के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जुड़ने के बाद पिछले लगभग एक साल से पार्टी से संबंध तोड़ लिया था। मपारे ने कहा, हाल ही में एनसीपी नेताओं ने मुझसे पार्टी के टिकट पर जिला परिषद चुनाव लड़ने के लिए संपर्क साधा था। मैंने अन्नाजी से इसकी इजाजत मांगी थी, जो उन्होंने दे दी।
अब बेचारे अन्ना भक्त मेरे ऊपर तमतमाने -बौखलाने से पहले मुझको तथा इस समाचार को झूठा सिद्ध करने का प्रयास अवश्य करेंगे. अतः उनकी सुविधा के लिए समाचार से सम्बन्धित link नीचे दे रहा हूँ.
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11411187.cms

कोर्ट ने माना- शांति भूषण ने चुराई स्‍टांप ड्यूटी, 27लाख जुर्माना ·

ये शांतिभूषण देश से भ्रष्टाचार मिटाने वाला जनलोकपाल कानून बनाने का ठेका इस दावे के साथ पिछले नौ महीनों से लिए हुए थे कि खुद ये और इनके सपूत प्रशांत भूषण के अलावा किसी और को ऐसा कानून बनाने की तमीज़ ही नहीं है.
इनके दावे के ढोल के साथ अन्ना हजारे और अन्ना गैंग मंजीरे की तरह बजता हुआ इन बाप-बेटों की कानूनी "होशियारी" की शान में कसीदे पढ़ता था.
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के बड़े बड़े संविधान विशेषज्ञों के लोकपाल से सबंधित सुझावों, उनकी सलाहों और आपत्तियों को गज़ब के अहंकार के साथ ये पिछले नौ महीनों से दुत्कार-फटकार रहा था.
आज न्यायालय के निर्णय ने यह सिद्ध भी किया कि इसके जैसी "होशियारी" उन बेचारे संविधान विशेषज्ञों के पास कहाँ थी...!!!!!!
20 करोड़ सर्किल रेट वाला बंगला लिखापढ़ी में एक लाख में खरीदने का महान....!!!!!!! ईमानदार...!!!!!! आर्थिक करतब दिखाने के फेर में कानूनी शिकंजे में फंस कर बुरी तरह बेनकाब हुए ईमानदारी के इस स्वघोषित सबसे बड़े ठेकेदार ने आज घिसे-पिटे हथकंडे का सहारा लेते हुए न्यायालय के निर्णय को भी राजनीतिक साज़िश घोषित कर दिया.
देश में ईमानदारी के सबसे बड़े ठेकेदार अन्ना गैंग और उसके अंध भक्तों को क्या न्यायलय द्वारा घोषित भ्रष्टाचारी को नौ महीने तक जनलोकपाल बिल बनाने का सबसे बड़ा ठेकेदार बनाये रखने की अपनी करतूतों पर कोई शर्म नहीं आ रही...?
देश को सदाचार का उपदेश देने वाले इस गैंग को न्यायालय के इस निर्णय के बाद क्या अब भी चुल्लू भर पानी नहीं मिल रहा है...?
विस्तृत समाचार के लिए नीचे के link पर क्लिक करिए.
http://www.bhaskar.com/article/UP-OTH-court-decision-on-shanti-bhushan-will-come-today-2718642.html?LHS-

मैदान छोडकर भागने के पीछे बीमारी या कारोबारी?



जी.आर.खैरनार 



पिछले नौ महीनों से शांतिभूषण, प्रशांतभूषण, किरण बेदी और केजरीवाल सरीखे "ईमानदार"...!!! पहलवानों की अपनी टीम के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ दिखावटी "दंगल" लड़ रहे ईमानदारी के "भारत भीम" किशन बाबूराव हजारे उर्फ़ "अन्ना" को रविवार 8 जनवरी को अस्पताल से छुट्टी मिल गयी.
छुट्टी के बाद हजारे ने कहा कि....."मैं अब ठीक हूं , लेकिन अभी भी कमजोरी महसूस कर रहा हूं। डॉक्टरों ने आराम की सलाह दी है. इसकी वजह से मैंने कुछ दिन का ब्रेक लिया है. पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद मैं इसके बारे (आंदोलन) में सोचूंगा, यह महीने - दो महीने की लड़ाई नहीं है। यह तो कई सालों की लड़ाई है और लड़नी पड़ेगी"
मतलब साफ़ है कि जिस तरह "शोले" फिल्म में वीरू ने मरना कैंसिल...!!! किया था,
कुछ उसी तरह की नौटंकी के साथ जनलोकपाली पहलवानों के इस गैंग ने आगे का अनशन-प्रचार-धरना कैंसिल कर दिया है...!!!
पिछले नौ महीनों से देश की आँखों में धूल झोंकने के लिए, उसकी भावनाओं से खिलवाड़ करने के लिए, सरकार और उसके कर्णधारों के भयंकर भ्रष्टाचार से देश का ध्यान हटाकर पूरी राजनीतिक बिरादरी को गालियाँ बक के उसके विपक्षी दलों को भी सरकार के साथ भ्रष्टाचारियों की कतार में बराबर से खड़ा करने के लिए, चंदा देने वाले अपने कार्पोरेटी खुदाओं तथा इस देश की अघोषित "विदेशी" राजमाता के कालेधन के मुद्दे पर जनलोकपाली पर्दा डालने के लिए जो हवाई दावे, पांच राज्यों में प्रचार की जो कसमें इस देश के सामने इन ईमानदारी के पहलवानों ने खायीं थीं, वो सब गयी भाड़ में...!!! इनके ठेंगे पर...!!!
इस तरह देश को उल्लू बनाकर अपने सत्ताधारी आकाओं का उल्लू सीधा करने में सफल रहे ये किराये के पहलवान और सालों की लड़ाई कह के 2014 के चुनाव में ठीक पहले एक ऐसे ही ड्रामे की एडवांस बुकिंग भी कर ली. ताकि उस समय भी जो कौंग्रेस विरोधी दल हों उन पर भी ऐसे ही किसी बहाने से खूब कीचड़ उछाल कर उनको कौंग्रेस से भी बदतर सिद्ध कर दें.

इसीलिए खैरनार जी ने कल गलत नहीं कहा था कि "अन्ना ड्रामा कर रहा है"... जरा दिए गए चित्र को CLICK करके के समाचार को पढ़िए और जानिये कि ये जनलोकपाली पहलवान अचानक अखाड़ा छोडकर बीमारी के कारण भागा है या किसी कारोबारी के कारण भागा है......??????
 उल्लेखनीय है कि, 90 के दशक में तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार, शरद पवार के भयंकर भ्रष्टाचार और दाऊद इब्राहीम सरीखे आतंकी माफिया सरदार के खिलाफ मुंबई म्युनिसिपल कारपोरेशन के तत्कालीन उपायुक्त जी.आर.खैरनार ने अपने जीवन को दांव पर लगाकर भीषण संघर्ष किया था.
अत्यंत साधारण सा सामान्य जीवन जीने वाले बेहद ईमानदार खैरनार ने इसके लिए मीडियायी भांडों और उनकी नौटंकी का सहारा नहीं लिया था.
शुक्रवार 7 जनवरी को उन्हीं खैरनार साहब ने न्यूज़ एक्सप्रेस चैनल पर चर्चा के दौरान बेबाकी से कहा कि,
"मैं अन्ना हजारे को बहुत पहले से और बहुत करीब से जानता हूँ. इन दिनों उसकी बीमारी की बात भी उसका ड्रामा ही है, इस से पहले भी अपने कई अनशनों की असफलता छुपाने के लिए वो ऐसे ड्रामे करता रहा है.मुंबई में जनता से मिले जबर्दस्त तिरस्कार के मुद्दे से मुंह चुराने के लिए ही अन्ना की बीमारी का ड्रामा किया जा रहा है."
खैरनार ने यह भी कहा कि ये लोग अपना अहंकारी, तानाशाही संकुचित रवैय्या छोड़े तथा भ्रष्ट लोगों के स्थान पर स्वच्छ छवि के लोगों को लाया जाए तो मैं खुद इस आन्दोलन से जुड़ सकता हूँ.
खैरनार की इस खरी-खरी से चर्चा में मौजूद "जनलोकपाली" मसखरा-मंचीय गवैय्या "कुमार" बुरी तरह बिलबिला उठा था और उन्हें बोलने ना देने के भरपूर प्रयास करता रहा था. 

Friday 6 January 2012

शर्मनाक सौदेबाजी से भस्म हो रही है साख़ और संभावनायें......

त्तरप्रदेश के राजनीतिक गलियारों की गहरी जानकारी रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों से लेकर सड़क पर भाजपा का झंडा लेकर घूमने वाले आम कार्यकर्ताओं-समर्थकों का यह सर्वसम्मत मत है कि इन दिनों उत्तरप्रदेश में "भ्रष्टाचार" के सबसे बड़े राक्षस के रूप में पहचाने जा रहे बाबूसिंह कुशवाहा को पार्टी में सम्मिलित कर भाजपा ने विधानसभा चुनावों से ठीक पहले राजनीतिक कुख्याति के ज़हर का लबालब जाम पी लिया है.
प्रदेश भाजपा कार्यलय में उदास-हताश कार्यकर्ताओं एवं गली सड़क चौराहों-चौपालों पर भाजपा समर्थकों के बीच यह चर्चा आम और गर्म है कि, तीन-तीन हत्याओं के खून से रंगे तीन हज़ार करोड़ के घोटाले के खलनायक बाबूसिंह कुशवाहा से कुछ बड़े नेताओं ने भाजपा की साख की कीमत पर कई करोड़ की रकम वसूल कर उसको राजनीतिक अभयदान देने का शर्मनाक सौदा किया है. इस सौदेबाज़ी के लिए विनय कटियार, प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही, मुख़्तार अब्बास नकवी और राष्ट्रीय अध्यक्ष गडकरी तक पर विशेष रूप से उँगलियाँ उठायी जा रही हैं. बाबूसिंह कुशवाहा के नाम पर पार्टी के भीतर मचे भयंकर भूचाल और आम जनमानस में हो रही जबर्दस्त थू-थू के बावजूद बाबूसिंह कुशवाहा की पार्टी में अब भी मौजूदगी और विनय कटियार, मुख़्तार अब्बास नकवी सरीखे भाजपाई नेताओं द्वारा निहायत निर्लज्जता के साथ किया जा बाबूसिंह कुशवाहा का बचाव तथा भाजपा के मार्गदर्शक "संघ" और शीर्ष नेतृत्व की संदेहास्पद चुप्पी ऐसी चर्चाओं की आग को लगातार भडका कर तेज़ करती जा रही हैं, इस आग में भाजपा की चुनावी सफलता की संभावनाओं को भस्म होते हुए स्पष्ट देखा जा रहा है.
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चित्र परिचय : 
काला टीका लगाये हुए चित्र बाहुबली बादशाह सिंह का है तथा उसके बगल में बाबूसिंह कुशवाहा का चित्र है. 

Tuesday 3 January 2012

भाजपा पर चढ़ी है "भंग", गहरी नींद में है "संघ"...!!!



राष्ट्रीय ग्रामीण स्वाथ्य मिशन (NRHM) 
घोटाले के मुख्य खलनायक
बाबूसिंह कुशवाहा को 
भाजपा ने 
ससम्मान पार्टी में शामिल कर 
राजनीतिक शरण
और सुरक्षा देने की
निर्लज्जता का नग्न प्रदर्शन
निर्भीक होकर किया

काजू भुनी प्लेट में व्हिस्की गिलास में,
रामराज्य बस रहा विधायक निवास में."
दीवार कूदने में जिनका पहला नम्बर था,
परधान बनके खड़े हैं अगली कतार में.

प्रख्यात जनकवि अदम गोंडवी की उपरोक्त पंक्तियों को उत्तरप्रदेश में चरितार्थ करने वालों की दौड़ और होड़ में सभी दलों को पीछे छोड़ने के लिए भाजपा पूरी तरह कमर कसती नज़र आ रही है.
5 वर्षों तक उत्तरप्रदेश में व्याप्त रहे माया सरकार के बर्बर भ्रष्टाचारी शासन के मुख्य सूत्रधारों में से एक तथा तीन वरिष्ठ चिकित्साधिकारियों के खून से रंगे हजारों करोड़ के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) घोटाले के मुख्य खलनायक के रूप में कुख्यात बाबूसिंह कुशवाहा को भाजपाई दिग्गजों ने कल (3 जनवरी) को ससम्मान पार्टी में शामिल कर राजनीतिक शरण और सुरक्षा देने की निर्लज्जता का नग्न प्रदर्शन निर्भीक होकर किया.
कुशवाहा के साथ ही साथ बुंदेलखंड में आतंक और दबंगई का पर्याय समझे जाने वाले बसपा से निष्कासित बाहुबली बादशाह सिंह को भी भाजपा ने अपनी राजनीतिक गोद में ससम्मान स्थान दिया. संघ प्रायोजित भाजपाई राजनीति के निकृष्टतम नैतिक पतन का उत्तरप्रदेश में ये अकेला उदाहरण नहीं है.माया सर्कार के कुशासन में बराबर के साझीदार रहे अवधेश वर्मा और दद्दन मिश्र सरीखे मंत्रियों तथा कुछ अन्य विधायकों पर भी भाजपाई कृपा जमकर हुई है तथा आने वाले दिनों में ऐसे कई और कलंकित उदाहरणों को देखे जाने की संभावनाएं अत्यंत प्रबल हैं.
रामराज्य की आड़ में रावण राज्य की नींव डालने/भरने का यह भाजपाई पाखण्ड उसके "पार्टी विद ए डिफ़रेंस" के दावे की तो धज्जियाँ उड़ा ही रहा है साथ ही साथ यह भी बता रहा है कि पिछले एक-डेढ़ दशक से प्रदेश में भाजपा किस हद तक "भंग" में चूर है और शील संयम सदाचार का सन्देश सुनाने, पाठ पढ़ाने वाला उसका नीति-नियंता "संघ" कितनी गहरी नींद में डूबा हुआ है.

अन्ना ये सफ़ेद हाथी क्यों पाले हैं.?


यदि अन्ना बीमार हैं 
इसलिए अब अनशन नहीं कर पायेंगे, 
5 राज्यों के विधान सभा चुनावों में 
कांग्रेस विरोधी प्रचार करने नहीं जा पायेंगे 
तो अन्ना की टीम के 
हट्टे-कट्टे 22 जनलोकपाली मुश्टंडे भी 
अनशन क्यों नहीं कर सकते.
ये 22 मुश्टंडे उन पाँच राज्यों में 
कांग्रेस विरोधी प्रचार करने 
क्यों नहीं जा सकते.? 
अन्ना ये सफ़ेद हाथी क्यों पाले हैं .?
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रा ध्यान दीजिये कि जिन पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं उनमे से दो राज्यों गोवा और 
मणिपुर के परिणामों का कोई विशेष महत्व नहीं है.
कुछ मीडियाई भांड(खबरिया चैनल) प्रायोजित हो-हल्ला खूब कर रहे हैं लेकिन उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के चौथे नम्बर के बजाय तीसरे नम्बर पर आने की संभावनाएं भी पूरी तरह शून्य ही हैं. शेष दो राज्यों उत्तराखंड और पंजाब में भाजपा तथा भाजपा गठबंधन की सरकारें है और इन दोनों राज्यों में भाजपा एवं उसके गठबंधन का कांग्रेस से सीधा मुकाबला होगा, क्योंकि कोई तीसरा महत्वपूर्ण राजनीतिक दल दोनों ही राज्यों में सक्रिय नहीं है.
इन राज्यों में कांग्रेस कि सत्ता में वापसी की भी संभावनाएं हैं. इन दोनों ही राज्यों में मतदान 30 जनवरी तक संपन्न हो जायेगा. और गज़ब संयोग देखिये कि अन्ना के सर्दी जुकाम बुखार के कारण पूरा अन्ना गैंग अब इस महीने, यानि 31 जनवरी तक किसी भी प्रकार की आन्दोलनकारी सक्रियता से दूर रहेगा..!!! आसानी से समझा जा सकता हैंकि इसका लाभ किसको मिलेगा...? चलिए अन्ना को सर्दी जुकाम बुखार जैसी इतनी गंभीर...!!! जानलेवा...!!! बीमारियों ने घेर लिया है कि वो एक महीने तक कुछ बोल भी नहीं सकेंगे और कोई अपील भी जारी नहीं कर सकेंगे... लेकिन पिछले 9 महीनों से पूरे देश का ठेका अपने कन्धों पर लेकर घूम रही 22 सदस्यीय टीम अन्ना को लकवा क्यों मार गया है.?
याद रहे कि ये वही टीम है जिसने बहुत गरजते हुए पाँचों राज्यों में कांग्रेस का विरोध करने का डंका जोर शोर से पीटा था.
http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/Anna-advised-month-s-rest_5_1_8711709.html

Monday 2 January 2012

राजनीति की मण्डी बड़ी नशीली है, इस मण्डी में सबने मदिरा पी ली है. कमरबंद पुख्ता हैं सिर्फ दलालों के, आम आदमी की तो धोती ढीली है.....


त्तरप्रदेश के राजनीतिक रंगमंच पर शातिर और सधे हुए बाजीगरों-कलाकारों के अज़ब-गज़ब करतबों का कुटिल क्रम गति पकड़ने लगा है.

लोकतान्त्रिक मर्यादाओं, सिद्धांतों, आदर्शों, नीतियों-नियमों और परम्पराओं को अवसरवादिता के अग्निकुंड में लपलपा रही स्वार्थी राजनीति की तेज़ लपटों के हवाले अत्यंत निर्लज्जता के साथ किया जा रहा है.

उत्तरप्रदेश की राजनीति में पूर्ण रूप से रसातल में पहुँच कर पूरी तरह अप्रासंगिक और अछूत हो चुके लोकतान्त्रिक सिद्धांतों और राजनीतिक आदर्शों का शर्मनाक साक्ष्य बीती 30 दिसम्बर को देखने को मिला.

प्रदेश की राजनीति में स्वयं को दलबदलू राजनीति के द्रोणाचार्य के रूप में सफलतापूर्वक स्थापित कर चुके नरेश अग्रवाल ने 30 दिसम्बर को बसपा का दामन छोड़कर समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.

उल्लेखनीय है कि, बसपा ने इस बार भी नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल को उम्मीदवार बनाने का एलान किया था, पर बीते शनिवार को निर्णय बदल दिया। नाराज नरेश ने इस पर सपा में अपना नया ठौर तलाश लिया.

इस अवसर पर नरेश अग्रवाल का स्वागत करते हुए सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने नरेश अग्रवाल के विषय में उनकी "प्रशंसा" करते हुए जो कुछ कहा वह प्रदेश की राजनीति के नैतिक-चारित्रिक पतन की पराकाष्ठा का निर्लज्ज उदाहरण हैं.

मुलायम सिंह यादव ने कहा कि, "नरेश के साथ आने का संदेश पूरे उप्र में चला गया है। अब वह सपा के लिए प्रचार में जुटेंगे। नरेश किसी भी पार्टी में रहे हों पर उनका सपा से सम्पर्क बराबर बना रहा है। वह कभी किसी के खिलाफ नहीं बल्कि अपने को आगे बढ़ाने का काम करते रहे है। सपा प्रमुख ने कहा बसपा सरकार में लूट की हिस्सेदारी को लेकर झगड़ा मचा हुआ है। जिन्होंने हिस्सा कम दिया है वहीं निकाले जा रहे हैं"

मुलायम का यह बयान खुद नरेश के लिए ही यह सन्देश भी देता दिखा की उन्होंने मायावती को "लूट" का कम हिस्सा ही दिया इसीलिए निकाले गए. अर्थात नरेश अग्रवाल ने तो जमकर "लूट" की लेकिन उन्होंने मायावती को हिस्सा कम दिया.

इसके बावजूद अपने इसी बयान में ही मुलायम का यह कहना कि, "नरेश के साथ आने का संदेश पूरे उप्र में चला गया है, अब वह सपा के लिए प्रचार में जुटेंगे" स्पष्ट कर गया की उत्तरप्रदेश में "जनता के लिए, जनता के द्वारा, जनता की सरकार" के लोकतांत्रिक सिद्धांत की धज्जियां उड़ाकर "लुटेरों के लिए लुटेरों के द्वारा लुटेरों की सरकार" बनाने की कोशिशें प्रारंभ हो चुकी हैं. इस बहती गंगा में हर प्रमुख और छुटभैय्या राजनीतिक दल अपने हाँथ धोने के बजाय बाकायदा डुबकियाँ लगाने की हर कोशिश कर रहा है.

अपनी पार्टी की केंद्र सरकार में हुए लाखों करोड़ के घपलों-घोटालों की भारी-भरकम गठरी सर पर लादकर इन दिनों उत्तरप्रदेश में घूम रहे कांग्रेसी युवराज राहुल गाँधी प्रदेश में अपनी उसी पार्टी की ईमानदार सरकार बनाने का "ठेका" लेते घूम रहे हैं.
5 सालों तक जिन मंत्रियों के सहारे चली अपनी सरकार के कारनामों को बसपा सुप्रीमो मायावती "सर्वजन हिताय" बता रहीं थीं, चुनाव आते ही अपनी उसी सरकार के 19 मंत्रियों को मायावती ने घोर भ्रष्टाचारी कह के पद से ही नहीं हटाया बल्कि पार्टी से ही बाहर कर दिया, जनता की आँखों में फेंकी गई इस धूल का प्रभाव क्या, कैसा और कितना होगा.? यह समय बतायेगा.
उत्तरप्रदेश में 24 माफिया सरगनाओं से सजे रहे कुख्यात मंत्रिमंडल वाली अपनी सरकार का कलंकित इतिहास और झारखंड में शीबू सोरेन सरीखे भारत के सर्वकालीन सर्वाधिक भ्रष्ट...!!!!! नेता के साथ आज भी जारी सरकार में साझेदारी की पूँजी लेकर भाजपा उत्तरप्रदेश की जनता के समक्ष "सुशासन" देने का दावा पूरे दमखम के साथ ठोंक रही है.
यह राजनीतिक परिस्थितियां उत्तरप्रदेश में प्रख्यात कवि रामेन्द्र त्रिपाठी की अत्यंत चर्चित एवं लोकप्रिय पंक्तियों की याद दिला रही हैं कि,

राजनीति की मण्डी बड़ी नशीली है, इस मण्डी में सबने मदिरा पी ली है.
कमरबंद पुख्ता हैं सिर्फ दलालों के, आम आदमी की तो धोती ढीली है......
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