Monday 16 January 2012

कहाँ खो गयी...??? कहाँ सो गयी "चैनली" रुदालियाँ...!!!

अपनी हिरासत में बंदी की हत्या करने, पुलिस भर्ती में जमकर घूसखोरी करने तथा एक वरिष्ठ वकील के खिलाफ फर्जी रिपोर्ट दर्ज कर उसको प्रताड़ित और ब्लैकमेल करने सरीखे गंभीर अपराधिक मुकदमों में अपने खिलाफ ठोस साक्ष्यों के कारण कानून के फौलादी शिकंजों में एक दशक पहले से बुरी तरह जकड़ा हुआ है गुजरात का कुख्यात पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट.
अपने उन जघन्य अपराधिक कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए संजीव भट्ट ने पिछले वर्ष नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आधारहीन अनर्गल आरोपों की बौछार कर दी थी.
तब भांड सरीखे कुछ खबरिया चैनलों ने संजीव भट्ट के लिए आंसू बहाते हुए उसके पक्ष तथा नरेन्द्र मोदी के विरोध में जोरशोर से "मातम पुर्सी" का अभियान ठीक उसी प्रकार चलाया था जिस प्रकार राजस्थान में "रुदालियाँ" किराया लेकर जोरदार शोक मनाती हैं.
इन दिनों वही संजीव भट्ट कांग्रेस के आयोजनों में मोदी विरोधी अपने पोस्टरों को कांग्रेसी फौज के साथ मिलकर लगवा रहा है. कांग्रेस के आयोजनों में पार्टी सदस्य की तरह अपने मोदी विरोधी पोस्टर भिजवा रहा है,चिपकवा रहा है.
उसके इस मोदी विरोधी अभियान में केवल कांग्रेसी रंगरूटों की फौज जी-जान से जुटी है.
लेकिन अपने-अपने स्टूडियो में भट्ट के साथ बैठकर संजीव भट्ट समर्थकऔर मोदी विरोधी शोकगीत गाती रहीं वो पत्रकारीय "रुदालियाँ" मुदों की तरह खामोश हैं, आखिर क्यों...?
क्योंकि इन्हीं रुदालियों ने इन दिनों बाबा रामदेव तथा उस से पहले अन्ना गैंग से यह पूछ-पूछ कर उनकी नाक में दम कर दिया था की वो भाजपा को फायदा पहुँचाने के लिए राजनीति तो नहीं कर रहे हैं....?
जबकि इनदिनों खुद संजीव भट्ट अपनी करतूतों से यह सिद्ध कर रहा है की वो गुजरात में चुनावी वर्ष में किस पार्टी को फायदा पहुँचाने के लिए उस पार्टी के दागदार(गंभीर अपराधिक मुकदमों से घिरे) कार्यकर्ता की तरह उछल-कूद कर रहा है.
लेकिन उसके इस कुकर्म पर दिल्ली स्टूडियों में बैठी मोदी विरोधी "रुदालियाँ" "आज" के गांधियों के तीन बंदरों की तरह "सच मत कहो-सच मत देखो-सच मत सुनों" का राग अलाप रहे हैं.
समाचार से सम्बन्धित link
http://timesofindia.indiatimes.com/city/ahmedabad/Mystery-surrounds-Sanjiv-Bhatts-posters-at-congress-fast-venue/articleshow/11518460.cms