Sunday 26 February 2012

U.P. की जनता के जनादेश के थप्पड़ों से अन्ना गैंग का मुंह लाल हुआ...

उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में इस बार सर्वाधिक मतदान हुआ है. प्रत्येक जनपद में वोट डालने निकली मतदाताओं की भीड़ ने पिछले सभी रिकार्ड ध्वस्त किये हैं. यह तथ्य उस अन्ना गैंग के मुंह पर यू.पी. की जनता के जनादेश के जोरदार जूते की तरह है जो पिछले ग्यारह महीनों से इस देश के आम आदमी के लोकतान्त्रिक अधिकारों का अपहरण करने की कुटिल कोशिशें करता रहा है. इस देश की लोकतान्त्रिक परम्पराओं पद्धत्तियों के प्रति देश में अविश्वास की आग लगाकर उसे राजनीतिक-सामाजिक-आर्थिक अराजकता का दावानल बनाना चाहता है. इस गैंग का सरगना किशन बाबूराव आज भी अभी भी "राईट टू रिजेक्ट" का फूहड़ गीत अपनी पूरी धूर्तता और दुष्टता के साथ गाता घूम रहा है.
जनता की आँखों में धूल झोंकने निकली इन जनलोकपाली जालसाजों और उसके सरगना किशन बाबूराव को बताना चाहूँगा कि राईट टू रिजेक्ट के लिए उसे किसी नौटंकी की जरूरत नहीं है.जनता जब सबको रिजेक्ट करना चाहेगी तब खुद ही वोट डालने नहीं जायेगी. क्योंकि जनता अपनी इक्षा से वोट डालने निकलती है. इस बार के विधानसभा चुनाव में अब तक हर जनपद में 50% से अधिक मतदान हुआ है. मतलब साफ़ है कि "राईट टू रिजेक्ट" की मांग करते घूम रहे जालसाजों और उनकी मांग को खुद जनता ने ही रिजेक्ट कर दिया है
सिर्फ यही नहीं बल्कि इस गैंग और उसके सरगना के दोगलेपन दोहरे चरित्र को भी पुनः याद करिए ज़रा.
पिछले ग्यारह महीनों के दौरान किशन बाबूराव ने टीवी. कैमरों के सामने दहाड़ते हुए उत्तरप्रदेश सहित 5 राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव में कांग्रेस का विरोध करने, उसे वोट नहीं देने की अपील करने की कसमें कितनी बार और किस-किस तरह खायीं थीं पूरा देश यह जानता है.
मुंबई में अपने जनलोकपाली ड्रामे के सुपरफ्लाप शो के बाद भी उसने ऎसी कसमों को जोरशोर से दोहराया .लेकिन पूरे चुनाव के दौरान उसी तरह गायब हुआ जैसे गधे के सिर से सींग.
इसके लिए बहाना बनाया बीमारी का, ऎसी कौन सी बीमारी थी जिसके कारण यह चार लाइनों की अपील भी अपने मुंह से नहीं कर सका और ना ही लिख सका.???
वैसे इसी दौरान उसकी अन्य सभी प्रकार की बयानबाजी जारी रही लेकिन कांग्रेस के खिलाफ वह एक शब्द नहीं बोला.
औपचारिकता निभाने के लिए, अख़बारों में फोटो छपवाने के लिए इसका गैंग 72 जिलों वालें उत्तरप्रदेश की 403 विधानसभा सीटों के चुनाव में 1000-500 लोगों के जमावड़े वाली केवल दो दर्जन "मीटिंगें" निपटाकर अपनी पीठ खुद ही थपथपाता घूम रहा है कि, उत्तरप्रदेश में उसके कारण ही बढ़ा हुआ मतदान हुआ है.
कुछ मीडियाई भांडों ने भी इस गैंग के इस बडबोले दावे का ढोल पीटना प्रारम्भ कर दिया है. जबकि सच्चाई इसके ठीक विपरीत है. पिछले ग्यारह महीनों से ये अन्ना गैंग इस देश की लोकतान्त्रिक प्रक्रिया को ध्वस्त करने का षड्यंत्र रचता रहा है. संसद और विधानसभाओं के खिलाफ ज़हर उगलता रहा है. चुनावों में भाग नहीं लेने को उकसाता रहा है. इसीलिए मेरा मानना है कि इस बार यू.पी. की जनता ने अपने जनादेश के जूतों से अन्ना गैंग का मुंह लाल कर दिया है...!!!

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