Tuesday 21 August 2012

देशघाती दोगले-दोहरे सरकारी चरित्र और चेहरे का प्रतीक है "जिंदाल

क्या गज़ब की राजनीतिक प्रशासनिक "देशघाती" धूर्तता का प्रदर्शन कितनी निर्भीक नग्नता-निर्लज्जता के साथ देश में हो रहा है और चैनली घोंसलों में सरकारी टुकड़े तोड़ने वाले खबरिया कौव्वे बिलकुल शांत हैं.
याद दिलाना चाहूँगा कि जब भी देश में कोई मुस्लिम आतंकवादी पकड़ा जाता है तो सरकारें और उनके "पालतू" खबरिया कौव्वे तत्काल यह चीख पुकार जोरशोर से शुरू कर देते हैं कि आतंकी का कोई धर्म नहीं होता,
किसी आतंकी का किसी भी धर्म से कोई लेनादेना नहीं होता, लेकिन ऐसे बयानों के भयंकर देशघाती दोगले-दोहरे चरित्र और चेहरे का परिचय देती है नरपिशाच सरीखे कुख्यात आतंकी अबू जिंदाल की रमजान के महीने में मुंबई में होती रही वीवीआईपी खातिरदारी.
उस दौरान जिंदाल हर रोज सुबह पांच बजे सहरी के लिए भेजा फ्राई, कीमा, चिकन रोल और मलाई की मांग करता था।
उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत होने से बचाने के लिए जिंदाल की सुरक्षा में तैनात पुलिस अधिकारी उसकी हर फरमाइश को पूरा करने के लिए मजबूर थे।
मुंबई एटीएस के एक अधिकारी ने बताया था कि 'लश्कर आतंकी जिंदाल हर सुबह खजूर, दूध, मलाई, कीमा और भेजा फ्राई मांगता है। इनका इंतजाम करना काफी मुश्किल हो जाता है, लेकिन हम किसी की धार्मिक भावनाओं को चोट नहीं पहुंचाना चाहते, फिर चाहे वह आतंकी ही क्यों न हो। हर रोज पांच बजे से पहले एक कॉन्स्टेबल इन सामानों का इंतजाम करने के लिए बाहर भेजा जाता है।
अतः सरकार से देश यह जानना चाहता है कि जब किसी आतंकी का कोई धर्म नहीं होता तो फिर इस देश के इतिहास के सबसे बर्बर आतंकी नरसंहार को अंजाम दिलवाने वाले राक्षस की धार्मिक भावनाओं पर सरकार इतनी मेहरबान क्यों हुई...???
http://navbharattimes.indiatimes.com/-abu-jundal-demands-bheja-fry-at-5-am-and-gets-it/articleshow/15541384.cms

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