Saturday 25 August 2012

इन बाप-बेटों का घर क्यों नहीं घेरते केजरीवाल..?

पिछले डेढ़ सालों से किसी उजड्ड गंवार चरवाहे की तरह हाथ में जनलोकपाली लट्ठ ले के केजरीवाल ने ईमानदारी को अपने घर की भैंस की तरह मनमाने तरीके से हांकने की ही जिद्द की है.
रविवार को जिस कोयला घोटाले की आड़ में गडकरी का घर घेरने की धमकी केजरीवाल ने दी है, वह धमकी केजरीवाल की तथाकथित ईमानदारी के दोगले-दोहरे चरित्र-चेहरे का शर्मनाक उदाहरण है.
सीएजी द्वारा कोयला घोटाले में 142 कोयला खदानों को मनमाने तरीके से आबंटित करने की जिस सरकारी प्रक्रिया पर उंगली उठा के देश को लगभग 1.86 लाख करोड़ का चूना लगने की सनसनीखेज सच्चाई से परिचित कराया है.
कुछ वर्ष पूर्व ठीक उसी प्रक्रिया से उत्तरप्रदेश की मायावती सरकार ने कुछ ख़ास लोगों और कम्पनियों को नोयडा में सैकड़ों करोड़ के फ़ार्महाउस कौड़ियों के मोल आबंटित कर दिए थे.
जिस नोयडा में सरकार का न्यूनतम सर्किल रेट जब 18000 रुपये प्रति वर्ग मीटर था (बाज़ार दर तो इससे कई गुना अधिक थी) तब माया सरकार ने 10,000 वर्ग मीटर प्लॉट वाले 150 फार्महाउस 3.5 करोड़ रुपये में आबंटित कर दिए थे, इसमें भी सुविधा ये दी थी की प्लॉट पाने वाले को प्रारम्भ में केवल 35 लाख रुपये देने थे शेष राशि 16 मासिक किस्तों में चुकानी थी.
जबकि गौर करिए कि न्यूनतम सरकारी सर्किल रेट से ही इन प्लॉटों का मूल्य 18 करोड़ रुपये बनता था, बाज़ार दर से तो इन प्लॉटों की कीमत इससे बहुत अधिक थी. लेकिन माया सरकार ने कृषि कार्य के नाम पर इस कारनामे को अंजाम दिया था.
इन 150 प्लॉटों में से 120 तो निजी कम्पनियों को दिए गए थे और 29 प्लॉट निजी व्यक्तियों को. कमाल देखिये कि इन परम भाग्यशाली 29 व्यक्तियों में शान्ति भूषण और उनके सुपुत्र जयंत भूषण भी शामिल थे.
इस भयंकर फार्महाउस जमीन घोटाले का मामला अब इलाहबाद हाईकोर्ट में है. कुछ सप्ताह पूर्व प्रदेश सरकार को सौंपी गयी अपनी जांच रिपोर्ट में नोयडा अथारिटी के चेयरमैन राकेश बहादुर ने इस फार्महाउस घोटाले से सरकार को 1000 करोड़ की चपत लगने की बात कही है. कुछ दिनों पूर्व ही उत्तरप्रदेश सरकार ने इस पूरे घोटाले की जांच लोकायुक्त को भी सौंप दी है.
अतः कोयला घोटाले के नाम पर नेताओं का घर घेरने को आतुर हो रहे केजरीवाल को इन भूषणों का घर क्यों नहीं दिख रहा...?
ध्यान रहे कि, गरीब किसानों की जमीन को जबरिया अधिग्रहित करने के बाद इस फार्महाउस घोटाले की लूट से सरकारी खजाने को जो 1000 करोड़ रुपये की चपत लगायी गयी थी वो रुपये किसी केजरीवाल या किन्हीं भूषणों की बपौती नहीं थे.
इसके बजाय ये 1000 करोड़ रुपये गरीब किसानों के खून पसीने से सींची गयी जमीन के थे.
अतः क्या फर्क है कोयला घोटाले तथा फार्महाउस घोटाले के दोषियों में..?
फर्क केवल रकम और अवसर का है, नीयत और नीति का नहीं क्योंकि जिसको जितना अवसर मिला उसने उतना हाथ साफ़ किया.

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