Monday 9 January 2012

मैदान छोडकर भागने के पीछे बीमारी या कारोबारी?



जी.आर.खैरनार 



पिछले नौ महीनों से शांतिभूषण, प्रशांतभूषण, किरण बेदी और केजरीवाल सरीखे "ईमानदार"...!!! पहलवानों की अपनी टीम के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ दिखावटी "दंगल" लड़ रहे ईमानदारी के "भारत भीम" किशन बाबूराव हजारे उर्फ़ "अन्ना" को रविवार 8 जनवरी को अस्पताल से छुट्टी मिल गयी.
छुट्टी के बाद हजारे ने कहा कि....."मैं अब ठीक हूं , लेकिन अभी भी कमजोरी महसूस कर रहा हूं। डॉक्टरों ने आराम की सलाह दी है. इसकी वजह से मैंने कुछ दिन का ब्रेक लिया है. पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद मैं इसके बारे (आंदोलन) में सोचूंगा, यह महीने - दो महीने की लड़ाई नहीं है। यह तो कई सालों की लड़ाई है और लड़नी पड़ेगी"
मतलब साफ़ है कि जिस तरह "शोले" फिल्म में वीरू ने मरना कैंसिल...!!! किया था,
कुछ उसी तरह की नौटंकी के साथ जनलोकपाली पहलवानों के इस गैंग ने आगे का अनशन-प्रचार-धरना कैंसिल कर दिया है...!!!
पिछले नौ महीनों से देश की आँखों में धूल झोंकने के लिए, उसकी भावनाओं से खिलवाड़ करने के लिए, सरकार और उसके कर्णधारों के भयंकर भ्रष्टाचार से देश का ध्यान हटाकर पूरी राजनीतिक बिरादरी को गालियाँ बक के उसके विपक्षी दलों को भी सरकार के साथ भ्रष्टाचारियों की कतार में बराबर से खड़ा करने के लिए, चंदा देने वाले अपने कार्पोरेटी खुदाओं तथा इस देश की अघोषित "विदेशी" राजमाता के कालेधन के मुद्दे पर जनलोकपाली पर्दा डालने के लिए जो हवाई दावे, पांच राज्यों में प्रचार की जो कसमें इस देश के सामने इन ईमानदारी के पहलवानों ने खायीं थीं, वो सब गयी भाड़ में...!!! इनके ठेंगे पर...!!!
इस तरह देश को उल्लू बनाकर अपने सत्ताधारी आकाओं का उल्लू सीधा करने में सफल रहे ये किराये के पहलवान और सालों की लड़ाई कह के 2014 के चुनाव में ठीक पहले एक ऐसे ही ड्रामे की एडवांस बुकिंग भी कर ली. ताकि उस समय भी जो कौंग्रेस विरोधी दल हों उन पर भी ऐसे ही किसी बहाने से खूब कीचड़ उछाल कर उनको कौंग्रेस से भी बदतर सिद्ध कर दें.

इसीलिए खैरनार जी ने कल गलत नहीं कहा था कि "अन्ना ड्रामा कर रहा है"... जरा दिए गए चित्र को CLICK करके के समाचार को पढ़िए और जानिये कि ये जनलोकपाली पहलवान अचानक अखाड़ा छोडकर बीमारी के कारण भागा है या किसी कारोबारी के कारण भागा है......??????
 उल्लेखनीय है कि, 90 के दशक में तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार, शरद पवार के भयंकर भ्रष्टाचार और दाऊद इब्राहीम सरीखे आतंकी माफिया सरदार के खिलाफ मुंबई म्युनिसिपल कारपोरेशन के तत्कालीन उपायुक्त जी.आर.खैरनार ने अपने जीवन को दांव पर लगाकर भीषण संघर्ष किया था.
अत्यंत साधारण सा सामान्य जीवन जीने वाले बेहद ईमानदार खैरनार ने इसके लिए मीडियायी भांडों और उनकी नौटंकी का सहारा नहीं लिया था.
शुक्रवार 7 जनवरी को उन्हीं खैरनार साहब ने न्यूज़ एक्सप्रेस चैनल पर चर्चा के दौरान बेबाकी से कहा कि,
"मैं अन्ना हजारे को बहुत पहले से और बहुत करीब से जानता हूँ. इन दिनों उसकी बीमारी की बात भी उसका ड्रामा ही है, इस से पहले भी अपने कई अनशनों की असफलता छुपाने के लिए वो ऐसे ड्रामे करता रहा है.मुंबई में जनता से मिले जबर्दस्त तिरस्कार के मुद्दे से मुंह चुराने के लिए ही अन्ना की बीमारी का ड्रामा किया जा रहा है."
खैरनार ने यह भी कहा कि ये लोग अपना अहंकारी, तानाशाही संकुचित रवैय्या छोड़े तथा भ्रष्ट लोगों के स्थान पर स्वच्छ छवि के लोगों को लाया जाए तो मैं खुद इस आन्दोलन से जुड़ सकता हूँ.
खैरनार की इस खरी-खरी से चर्चा में मौजूद "जनलोकपाली" मसखरा-मंचीय गवैय्या "कुमार" बुरी तरह बिलबिला उठा था और उन्हें बोलने ना देने के भरपूर प्रयास करता रहा था. 

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