Friday 6 January 2012

शर्मनाक सौदेबाजी से भस्म हो रही है साख़ और संभावनायें......

त्तरप्रदेश के राजनीतिक गलियारों की गहरी जानकारी रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों से लेकर सड़क पर भाजपा का झंडा लेकर घूमने वाले आम कार्यकर्ताओं-समर्थकों का यह सर्वसम्मत मत है कि इन दिनों उत्तरप्रदेश में "भ्रष्टाचार" के सबसे बड़े राक्षस के रूप में पहचाने जा रहे बाबूसिंह कुशवाहा को पार्टी में सम्मिलित कर भाजपा ने विधानसभा चुनावों से ठीक पहले राजनीतिक कुख्याति के ज़हर का लबालब जाम पी लिया है.
प्रदेश भाजपा कार्यलय में उदास-हताश कार्यकर्ताओं एवं गली सड़क चौराहों-चौपालों पर भाजपा समर्थकों के बीच यह चर्चा आम और गर्म है कि, तीन-तीन हत्याओं के खून से रंगे तीन हज़ार करोड़ के घोटाले के खलनायक बाबूसिंह कुशवाहा से कुछ बड़े नेताओं ने भाजपा की साख की कीमत पर कई करोड़ की रकम वसूल कर उसको राजनीतिक अभयदान देने का शर्मनाक सौदा किया है. इस सौदेबाज़ी के लिए विनय कटियार, प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही, मुख़्तार अब्बास नकवी और राष्ट्रीय अध्यक्ष गडकरी तक पर विशेष रूप से उँगलियाँ उठायी जा रही हैं. बाबूसिंह कुशवाहा के नाम पर पार्टी के भीतर मचे भयंकर भूचाल और आम जनमानस में हो रही जबर्दस्त थू-थू के बावजूद बाबूसिंह कुशवाहा की पार्टी में अब भी मौजूदगी और विनय कटियार, मुख़्तार अब्बास नकवी सरीखे भाजपाई नेताओं द्वारा निहायत निर्लज्जता के साथ किया जा बाबूसिंह कुशवाहा का बचाव तथा भाजपा के मार्गदर्शक "संघ" और शीर्ष नेतृत्व की संदेहास्पद चुप्पी ऐसी चर्चाओं की आग को लगातार भडका कर तेज़ करती जा रही हैं, इस आग में भाजपा की चुनावी सफलता की संभावनाओं को भस्म होते हुए स्पष्ट देखा जा रहा है.
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चित्र परिचय : 
काला टीका लगाये हुए चित्र बाहुबली बादशाह सिंह का है तथा उसके बगल में बाबूसिंह कुशवाहा का चित्र है. 

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